ओडिशा में सत्तारूढ़ बीजू जनता दल, आंध्र प्रदेश में सरकार चला रही वाईएसआर कांग्रेस और आंध्र प्रदेश की मुख्य विपक्षी तेलुगू देशम पार्टी के शीर्ष नेताओं का कहना है कि वे भाजपा और कांग्रेस के गठबंधनों यानी एनडीए और ‘इंडिया’ से समान दूरी रखते हैं। लेकिन असल में ऐसा नहीं है। ये तीनों पार्टियां ‘इंडिया’ से दूरी जरूर रखे हुए हैं लेकिन एनडीए से इनकी दूरी नहीं है। ये तीनों पार्टियां एनडीए के नजदीक हैं, भले उस गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं। ये पार्टियां दावा करती रही हैं कि ये मुद्दों के आधार पर केंद्र सरकार का समर्थन करती हैं लेकिन असल में हर मुद्दे पर केंद्र सरकार का साथ देती हैं। इसलिए यह मुद्दा आधारित नहीं, बल्कि खुला और संपूर्ण समर्थन है।
इन तीनों पार्टियों ने दिल्ली के सेवा विधेयक और अविश्वास प्रस्ताव दोनों पर सरकार का साथ देने का फैसला किया है। अविश्वास प्रस्ताव पर सरकार का साथ देना तो समझ में आता है लेकिन सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलटने वाले केंद्र सरकार के बिल पर समर्थन देने का क्या कारण हो सकता है? सोचें, मायावती ने भी कहा था कि उनकी कांग्रेस और भाजपा दोनों गठबंधनों से समान दूरी रखती है तो उनकी पार्टी ने दिल्ली के सेवा बिल के मसले पर बहस और वोटिंग से अलग रहने का फैसला किया। क्या बीजू जनता दल, वाईएसआर कांग्रेस और टीडीपी भी उनकी तरह इस मसले पर वोटिंग से अलग रहने का फैसला नहीं कर सकते थे? अगर तीनों पार्टियां वोटिंग से अलग रहतीं तब भी सरकार की मदद ही होती। ध्यान रहे सरकार को लोकसभा में किसी के समर्थन की जरूरत नहीं है और अगर राज्यसभा में इन पार्टियों के 20 सांसद वोटिंग से अलग रहते तो सरकार एनडीए के और निर्दलीय सांसदों की 113 की संख्या से ही बिल पास करा लेती। फिर भी इन पार्टियों ने सरकार का साथ देने का फैसला किया है तो इसका मतलब है कि ये एनडीए से समान दूरी पर नहीं है, बल्कि उसके साथ हैं।