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घेरे में भाजपा के मुख्यमंत्री

भारतीय जनता पार्टी के कई मुख्यमंत्री सवालों के घेरे में हैं। लोकसभा चुनाव के बाद उनके प्रदर्शन को लेकर सवाल उठ रहे हैं और पार्टी की समीक्षा बैठकों में उन पर निशाना साधा जा  रहा है। कई जगह प्रत्यक्ष रूप से हमले हो रहे हैं तो कहीं कहीं परोक्ष रूप से मुख्यमंत्रियों को निशाना बनाया जा रहा है। भाजपा के जानकार सूत्रों के मुताबिक अभी तुरंत कोई बदलाव नहीं होगा लेकिन अगले तीन महीने मे होने वाले चार राज्यों के विधानसभा चुनावों के बाद कुछ बदलाव होने की संभावना है। जिन राज्यों में चुनाव होने वाले हैं अगर भाजपा वहां जीतती है तो वहां भी नए चेहरों के साथ प्रयोग हो सकता है। 

भाजपा के जानकार सूत्रों के मुताबिक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अलावा जो मुख्यमंत्री सबसे ज्यादा निशाने पर हैं वो उत्तराखंड के पुष्कर सिंह धामी हैं। उनके राज्य में दो सीटों पर उपचुनाव हुए थे और दोनों सीटों पर भाजपा हार गई। उपचुनाव में उत्तराखंड की बद्रीनाथ सीट हारने का बड़ा झटका भाजपा को लगा है। इस सीट के कांग्रेस विधायक को लोकसभा चुनाव से पहले तोड़ कर भाजपा में शामिल कराया गया था और लोकसभा के बाद हुए उपचुनाव में उनको टिकट दी गई। लेकिन वे बड़े अंतर से हारे। इसी तरह मंगलौर सीट बसपा के विधायक के निधन से खाली हुई थी, जहां बाहर से लाकर करतार सिंह भड़ाना को भाजपा ने लड़ाया और वे चुनाव हार गए। सो, धामी के भविष्य पर सवालिया निशान लगा है। राज्य में 2027 के शुरू में चुनाव होंगे यानी करीब ढाई साल का समय बचा है। माना जा रहा है कि राज्य में बीच ही बदलाव हो सकता है, जैसा पिछले चुनाव से पहले हुआ था। 

इसी तरह राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। 2023 के दिसंबर में वे मुख्यमंत्री बने और मई में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा को बड़ा झटका लगा। भाजपा राज्य में 11 सीटों पर चुनाव हार गई। भजनलाल शर्मा के साथ ही मोहन यादव मध्य प्रदेश में और विष्णुदेव साय छत्तीसगढ़ में सीएम बने थे। मध्य प्रदेश में भाजपा सभी 29 सीटों पर जीती और छत्तीसगढ़ में भी 11 में से 10 सीट जीती। लेकिन राजस्थान में 25 में से 14 ही सीट जीत पाई। सो, भजनलाल शर्मा के लिए आगे का रास्ता मुश्किल लग रहा है। 

भाजपा ने हरियाणा में जो प्रयोग किया है उसे लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। पार्टी के अंदर ही आशंका जताई जा रही है कि नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में भाजपा विधानसभा का चुनाव जीत पाएगी या नहीं। गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव से ठीक पहले करनाल के सांसद नायब सिंह सैनी को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया था। वे पिछड़ी जाति से आते हैं और भाजपा ने पिछड़ा, पंजाबी और ब्राह्मण का समीकरण बनाने का प्रयास किया है। लेकिन उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद लोकसभा चुनाव में भाजपा पांच सीटों पर हार गई। 2019 में भाजपा राज्य की सभी 10 सीटों पर जीती थी लेकिन 2024 में पांच पर हार गई। बाकी सीटों पर भी कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने अच्छी टक्कर दी। सो, सैनी की परीक्षा है। अगर भाजपा जीती तभी उनकी सारी भूलें माफ होंगी। पूर्वोत्तर के कुछ मुख्यमंत्री भी निशाने पर हैं। चार राज्यों के चुनाव के बाद उधर भी ऑपरेशन होगा।     

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