भाजपा नेताओं की शिकायत करने के खतरे

भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के खिलाफ किसी तरह की शिकायत करने में बहुत जोखिम हो गया है। कई राज्यों में शिकायत करने वालों के खिलाफ इतनी सख्त कार्रवाई हुई है अब कोई भी व्यक्ति किसी भाजपा नेता के खिलाफ शिकायत करने से पहले सौ बार सोचेंगा। पिछले दिनों महाराष्ट्र के नागपुर के रहने वाले वाले वकील सतीश उके के खिलाफ संगठित अपराध से लड़ने के लिए बनाए गए बेहद सख्त कानून मकोका के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। सतीश उके ने राज्य के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस के खिलाफ चुनाव आयोग में शिकायत की थी। यह शिकायत पिछले चुनाव के समय हुई थी, जब जीत कर फड़नवीस राज्य के मुख्यमंत्री बने थे। सतीश उके ने शिकायत में कहा था कि फड़नवीस ने अपने चुनावी हलफनामे में आपराधिक मामलों की जानकारी नहीं दी थी। इस शिकायत पर फड़नवीस के खिलाफ कोई कार्रवाई तो नहीं हुई लेकिन अब जाकर सतीश उके के खिलाफ मकोका के तहत मुकदमा दर्ज हो गया है।

इसी तरह भाजपा की हरियाणा सरकार के मंत्री रहे संदीप सिंह के खिलाफ एक महिला जूनियर कोच ने यौन शोषण का आरोप लगाया था। इसे लेकर प्रदेश की राजनीति में बहुत हंगामा हुआ। फिर भी आरोप लगने के नौ महीने बाद भी संदीप सिंह खट्टर सरकार में मंत्री हैं और पिछले दिनों आरोप लगाने वाली जूनियर एथलीट कोच को निलंबित कर दिया गया। महिला पहलवानों का यौन शोषण करने के आरोपी भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर भी कोई कार्रवाई अभी तक नहीं हुई है। वे इस बार भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष का चुनाव नहीं लड़ रहे हैं लेकिन वैसे भी तीन बार लगातार रहने के बाद वे चुनाव नहीं लड़ सकते थे। इसलिए उनका नहीं लड़ना कोई सजा नहीं है। उलटे उन्होंने अपने करीबी लोगों का पैनल चुनाव में उतारा है और उनको जिताने के लिए जी-जान से लगे हैं। उन पर मुकदमा चल रहा है लेकिन उसमें नियमित जमानत मिल गई है।

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