भारतीय जनता पार्टी के कुछ नेताओं ने सरकार और संगठन की बहस छेड़ी है और बार बार कह रहे हैं कि संगठन सरकार से बड़ा होता है। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य खुद सरकार में हैं लेकिन यह बात बार बार कह रहे हैं, जिससे यह आभास हो रहा है कि वे शायद संगठन में भेजे जा सकते हैं। लेकिन हकीकत यह है कि सरकार का कोई भी आदमी शायद ही संगठन में जाना चाहता। हर नेता के लिए संगठन सरकार में जाने की सीढ़ी होती है। एक बार सरकार में चले गए तो नेता या तो सजा के तौर पर संगठन में भेजे जाते हैं या मजबूरी हो जाती है यानी पार्टी सरकार से बाहर हो जाती है तभी वे संगठन में जाते हैं।
बहरहाल, सरकार और संगठन में कौन बड़ा की इस बहस में एक बेहद वरिष्ठ पत्रकार ने अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार और उस समय के भाजपा व संघ के संगठन में हुई खींचतान को लेकर कई दिलचस्प किस्से सुनाए। वाजपेयी जब 1998 में प्रधानमंत्री बने तो तकनीकी रूप से वह उनकी दूसरी सरकार थी लेकिन पहली सरकार चूंकि 13 दिन में गिर गई थी तो राजनीतिक रूप से इसे ही पहली सरकार मानना चाहिए। सरकार बनने के कुछ दिन बाद ही यह बहस छिड़ गई कि सरकार बड़ी या संगठन बड़ा? पहली सरकार थी, 25 पार्टियों के गठबंधन से बनी थी और वाजपेयी, आडवाणी व जोशी खेमे के अलावा आरएसएस का भी दखल था। तब सरकार के हर फैसले पर पार्टी के कुछ नेताओं या संघ या उसके अनुषंगी संगठनों की तरफ से सवाल उठाए जाने लगे थे।
इस खींचतान के बीच 1999 की जनवरी के पहले हफ्ते में बेंगलुरू में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई। इसमें संभवतः तीन जनवरी को एक प्रस्ताव पास किया गया, जिसमें कहा गया कि सरकार के कामकाज के मामले में मंत्रियों का फैसला अंतिम होगा। यानी पार्टी उस पर सवाल नहीं उठाएगी। अगले दिन यानी चार जनवरी को पत्रकारों ने प्रमोद महाजन से पूछा कि इस प्रस्ताव की क्या जरुरत थी। उन्होंने एक रूपक के जरिए इसे समझाया। महाजन ने कहा कि जिस तरह क्रिकेट में एक ए और बी टीम होती है वैसे ही पार्टियों में भी ए और बी टीम होती है। जब सरकार बनती है तो ए टीम के सदस्य मंत्री बन जाते हैं और बी टीम संगठन चलाती है। इसके बाद उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि क्या बी टीम का क्रिकेट खिलाड़ी ए टीम के खिलाड़ी को समझा जा सकता है कि कैसे खेलना चाहिए?
इसके बाद उन्होंने दूसरी मिसाल दी। प्रमोद महाजन ने कहा कि भाजपा में दो महाजन हैं, प्रमोद महाजन और सुमित्रा महाजन। प्रमोद महाजन सरकार में हैं और सुमित्रा महाजन पार्टी की उपाध्यक्ष हैं। फिर उन्होंने सवालिया लहजे में कहा- इसका उलटा क्यों नहीं है? बहरहाल, उनका कहना था कि संगठन में बी ग्रेड के नेता होते हैं इसलिए वे सरकार चला रहे ए ग्रेड के नेताओं को नहीं समझा सकते हैं कैसे सरकार चलानी चाहिए। सोचिए अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के समय जना कृष्णमूर्ति और बंगारु लक्ष्मण जैसे अध्यक्ष हुए, प्यारेलाल खंडेलवाल और जेपी माथुर जैसे उपाध्यक्ष या महासचिव हुए। क्या संगठन के ये नेता वाजपेयी, आडवाणी, जोशी, महाजन, जसवंत सिंह, यशवंत सिन्हा, जेटली, सुषमा आदि को समझा सकते थे कि कैसे सरकार चलानी चाहिए? कहने का मतलब है कि यह बहस बेमानी है की सरकार बड़ी या संगठन बड़ा। सरकार हमेशा बड़ी होती है और पीएम, सीएम आदि हमेशा संगठन के नेताओं से बड़े होते हैं।