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भाजपा को हर प्रदेश में समस्या है

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भारतीय जनता पार्टी का संगठन चुनाव रूका हुआ है। इस बार पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले और उसके बाद भारतीय सेना की कार्रवाई यानी ऑपरेशन सिंदूर की वजह से रूका है। इससे पहले पता नहीं किस कारण से रूका था लेकिन उससे पहले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव की वजह से रूका था और उससे पहले लोकसभा चुनाव की वजह से रूका था।

अभी तक देश के 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से सिर्फ 14 राज्यों में भाजपा का चुनाव हुआ है और प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त हुए हैं। बाकी राज्यों में क्यों चुनाव नहीं हो रहे हैं, इस पर आधिकारिक रूप से कोई कुछ नहीं कह रहा है। लेकिन माना जा रहा है कि हर राज्य में कुछ न कुछ समस्या है, जिसकी वजह से फैसला नहीं हो पा रहा है।

देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में अध्यक्ष का फैसला नहीं हो पा रहा है। अध्यक्ष का फैसला नहीं होने की वजह से सरकार में फेरबदल की रूकी है। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व यानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह में सहमति नहीं बन पा रही है।

इस बात पर भी सहमति नहीं बन पा रही है कि जाट समुदाय के भूपेंद्र चौधरी की जगह ब्राह्मण अध्यक्ष बनाया जाए या पिछड़ा अध्यक्ष हो। कई ब्राह्मण और पिछड़ा नेताओं के नाम की चर्चा चल रही है। इसी तरह की समस्या झारखंड में है, जहां बाबूलाल मरांडी अध्यक्ष भी हैं और विधायक दल के नेता भी। अब किसी गैर आदिवासी को प्रदेश अध्यक्ष बनाना है लेकिन गैर आदिवासी में सवर्ण हो या पिछड़ा या दलित इसका फैसला नहीं हो पा रहा है। सवर्ण समाज के रविंद्र राय कार्यकारी अध्यक्ष हैं। वे पूर्णकालिक बनने के लिए जोर लगा रहे हैं।

बीजेपी संगठन चुनाव फिर अटका

तेलंगाना में जी किशन रेड्डी प्रदेश अध्यक्ष हैं और वे केंद्र में मंत्री भी हैं। कहा जा रहा है कि भाजपा वहां किसी कट्टर हिंदू राजनीति करने वाले चेहरे को प्रदेश की कमान सौंपना चाहती है। लेकिन इसके साथ ही सामाजिक समीकरण साधने की चिंता भी है। बंदी संजय कुमार के बाद जी किशन रेड्डी अध्यक्ष बने थे। के चंद्रशेखर राव की पार्टी से आए नेता भी दावेदार बताए जा रहे हैं तो पार्टी के पुराने चेहरे को आगे करने की दुविधा भी है।

इसी तरह पश्चिम बंगाल में पार्टी संगठन के भीतर विवाद बहुत बढ़ गया है। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और पार्टी के सांसद दिलीप घोष पूरी तरह से खुल कर विधायक दल के नेता सुवेंदु अधिकारी के खिलाफ आ गए हैं। उनका कहना है कि बाहर से आए नेताओं की वजह से पार्टी को नुकसान हो रहा है। हालांकि पार्टी फिर से दिलीप घोष को अध्यक्ष नहीं बनाएगी। तभी यह चर्चा हो रही है कि मौजूदा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार को ही बनाए रखा जा सकता है। लेकिन क्या तब उनको केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा देना होगा? इस वजह से बंगाल का फैसला अटका है।

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मोदी और शाह के गृह प्रदेश गुजरात में भी प्रदेश अध्यक्ष का फैसला रूका हुआ है। सीआर पाटिल केंद्र में मंत्री हैं और प्रदेश अध्यक्ष भी हैं। वे सख्त और अनुशासन वाले नेता माने जाते हैं, जो अपने हिसाब से काम करते हैं। जीतू वघानी की जगह उनको अध्यक्ष बनाया गया था। चूंकि भूपेंद्र पटेल मुख्यमंत्री तभी सीआर पाटिल के केंद्र में मंत्री बनाए जाने के सम से ही इस बात की चर्चा है कि किसी अन्य पिछड़े या वैश्य को कमान दी जा सकती है।

महाराष्ट्र में भी किसी नाम पर सहमति नहीं बन पाने की वजह से नियुक्ति रूकी है और चंद्रशेखर बावनकुले राज्य सरकार में मंत्री और प्रदेश अध्यक्ष दोनों जिम्मेदारी निभा रहे हैं।

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