भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा दो दिन के लिए बिहार गए। वे देश के स्वास्थ्य मंत्री भी हैं और आधिकारिक रूप से कहा गया कि वे एक अस्पताल के उद्घाटन के लिए बिहार गए। लेकिन सवाल है कि जब चार राज्यों में चुनाव होने हैं और दो राज्यों में भाजपा की टिकट बंटवारे को लेकर घमासान छिड़ा है ऐसे समय में उन्होंने दो दिन बिहार में बिताने का फैसला क्यों किया? यह संभव नहीं है कि एक अस्पताल के उद्घाटन के लिए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष दो दिन बिहार बैठें। उनकी यह यात्रा बहुत अहम है और इसकी टाइमिंग और भी खास है। टाइमिंग इसलिए खास है क्योंकि उनकी यात्रा से ठीक पहले यह खबर आई कि राजद नेता तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिले हैं। इसके बाद नीतीश के लालू के घर जाने का एक वीडियो वायरल हुआ। कहा जाने लगा कि फिर से राजद और जदयू के बीच बातचीत हो रही है।
हकीकत यह है कि तेजस्वी यादव राज्य सूचना आयुक्त के चयन समिति के सदस्य के नाते बैठक में शामिल हुए थे और जो वीडियो वायरल हुआ वह पुराना था। परंतु इसी चर्चा के बीच नड्डा पटना पहुंचे और नीतीश कुमार से उनकी मुलाकात हुई। सार्वजनिक कार्यक्रम में भी दोनों साथ रहे, जहां नीतीश ने कहा कि वे तीसरी बार गलती नहीं करने जा रहे हैं। यानी पहले दो बार की तरह वे तीसरी बार राजद के साथ नहीं जाएंगे। मुख्यमंत्री निवास में भी नड्डा की नीतीश से मुलाकात हुई और लंबी बातचीत हुई।
राजद और जदयू के साथ आने की अटकलों के अलावा नड्डा की यात्रा की टाइमिंग दूसरे कारणों से भी अहम है। ध्यान रहे पिछले 10 साल तक भाजपा की केंद्र सरकार का सहयोग करने वाली दो पार्टियां, बीजू जनता दल और वाईएसआर कांग्रेस अब अलग हो गई हैं। दोनों केंद्र सरकार का विरोध कर रहे हैं। दोनों पार्टियों ने कहा है कि वे वक्फ बोर्ड कानून में बदलाव का विरोध करेंगे। सरकार अगले सत्र में इस बिल को पास कराने का प्रयास करेगी। इसी तरह समान नागरिक संहिता यानी यूसीसी का बिल भी आना है। इन दोनों पर नीतीश का समर्थन बहुत अहम होगा। बिहार के दूसरे सहयोगी चिराग पासवान ने भी इस बिल पर आपत्ति की है और भाजपा को आंख दिखानी शुरू की है। उनको भी दायरे में रखने के लिए नीतीश का साथ जरूरी है।
नड्डा की यात्रा ती टाइमिंग इस मायने में भी अहम है कि अगले कुछ दिन में जनगणना की अधिसूचना जारी होनी है और जातियों की गिनती के मसले पर भाजपा को फैसला करना है। राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ ने हरी झंडी दे दी है। लेकिन भाजपा को पता है कि जाति गिनती के बाद आरक्षण बढ़ाने की मांग तेज होगी। इस पूरे मामले में नीतीश की भूमिका और उनका समर्थन बहुत महत्वपूर्ण रहेगा। यह भी कहा जा रहा है कि बिहार में समय से पहले चुनाव हो सकता है। भाजपा स्पष्ट कर चुकी है कि नीतीश के नेतृत्व में ही विधानसभा का चुनाव लड़ा जाए। तभी कहा जा रहा है कि नीतीश की इच्छा का सम्मान करते हुए भाजपा समय से पहले चुनाव पर तैयार हो सकती है। संभव है कि नड्डा और नीतीश की मुलाकात में इस पर भी बात हुई है।