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जम्मू कश्मीर में भाजपा का त्रिशंकु विधानसभा का प्रयास

भारतीय जनता पार्टी ने जम्मू कश्मीर में चुनाव जीतने की उम्मीद छोड़ दी है। पहले जब उप राज्यपाल को ज्यादा अधिकार दिए गए तभी इसका अंदाजा हो गया था लेकिन कश्मीर घाटी में जिस तरह से भाजपा ने अपने को अलग थलग किया है उससे भी लग रहा है कि वह खुद चुनाव जीतने की बजाय कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के चुनाव को खराब करने की रणनीति पर काम कर रही है। भाजपा का प्रयास है कि किसी तरह से चुनाव पूर्व गठबंधन को बहुमत नहीं मिले और राज्य में त्रिशंकु विधानसभा बन जाए। ऐसे में भाजपा या तो जोड़ तोड़ करके अपनी सरकार बनाएगी या राष्ट्रपति शासन चलने देगी।

इस रणनीति के तहत भाजपा ने अनुच्छेद 370 व 35ए के मसले पर कांग्रेस को जम्मू के क्षेत्र में किनारे करने का प्रयास किया है तो कश्मीर घाटी में नेशनल कॉन्फ्रेंस की साख बिगाड़ने का प्रयास शुरू हो गया है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के राजनीतिक सलाहकार रहे देवेंद्र सिंह राणा ने खुलासा किया है कि 2014 में उमर अब्दुल्ला ने भाजपा के साथ सरकार बनाने का प्रस्ताव दिया था और इसके लिए अमित शाह व राम माधव से मिले थे। ध्यान रहे देवेंद्र सिंह राणा अब भाजपा में हैं और वे केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह के भाई हैं। उनके इस खुलासे से घाटी में कट्टरपंथी या अलगाववादी नेताओं की ओर रूझान बढ़ेगा। अगर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे अलगाववादियों या जेल में बंद इंजीनियर राशिद की पार्टी के उम्मीदवारों को वोट मिलेंगे तो उसका नुकसान कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस को होगा। पीडीपी की साख पहले से खराब है और बची खुची साख उमर अब्दुल्ला ने यह कह कर खराब कर दी कि पीडीपी और भाजपा में तालमेल की बात हो रही है।

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