भाजपा के पूर्व सासंद और भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह अपनी पार्टी के शीर्ष नेताओं की बात मान कर राजी नहीं हैं। जानकार सूत्रों का कहना है कि पार्टी की ओर से उनको कम से कम दो बार समझाया गया है कि वे ओलंपियन पहलवानों खास कर विनेश फोगाट, बजरंग पुनिया और साक्षी मलिक के खिलाफ कुछ नहीं बोलें। लेकिन वे इस निर्देश को नहीं मान रहे हैं। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने टेलीफोन पर उनसे बात की और चुप रहने को कहा। यहां तक कि हरियाणा के प्रदेश नेताओं ने खुलेआम नाराजगी जताई और कहा कि उनके बयानों से भाजपा को चुनाव में नुकसान हो सकता है क्योंकि ओलंपिक में गलत तरीके से अयोग्य ठहराए जाने के बाद से विनेश फोगाट के प्रति आम लोगों की सहानुभूति है और खास कर महिलाओं की बड़ी सहानुभूति है। इसलिए उनके खिलाफ बयानबाजी से पूरे राज्य में नुकसान होगा।
लेकिन बृजभूषण शरण सिंह की अपनी समस्या है। उनको भाजपा की राजनीति से ज्यादा चिंता अखिल भारतीय कुश्ती महासंघ की राजनीति को लेकर है। उन्होंने अपने बेटे करण सिंह को सांसद बनवा दिया और उनके करीबी संजय सिंह कुश्ती संघ के अध्यक्ष हैं। लेकिन अगर हरियाणा में कांग्रेस जीतती है और विनेश फोगाट को सरकार में जगह मिलती है तो कुश्ती महासंघ की राजनीति को वे प्रभावित कर सकती हैं। तभी पहले बृजभूषण ने कहा कि विनेश फोगाट गलत तरीके से ओलंपिक में चली गई थी। इस पर उनको चुप रहने को कहा गया लेकिन वे फिर बोले कि अगर भाजपा आलाकमान कहे तो वे विनेश फोगाट और दूसरे लोगों के खिलाफ हरियाणा में प्रचार करेंगे। इसके बाद फिर उनको चुप कराया गया लेकिन उन्होंने कहा कि जिस तरह महाभारत में पांडवों ने द्रौपदी को दांव पर लगाया था उसी तरह कांग्रेस ने विनेश और बजरंग को लगाया है। तब नड्डा ने फोन करके चुप रहने को कहा। अब देखना है कि वे कितने दिन तक चुप रहते हैं।