यह बड़ा सवाल है क्योंकि हेमंत सोरेन ने शपथ लेने के बाद मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं किया है। उन्होंने अकेले मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है और एक व्यक्ति की कैबिनेट अभी काम कर रही है। वे सोमवार को यानी आठ जुलाई को विधानसभा में बहुमत साबित करेंगे। लेकिन अभी यह तय नहीं है कि मंत्रिमंडल का विस्तार कब होगा। पहले कहा जा रहा था कि नौ जुलाई को विस्तार हो सकता है लेकिन अभी इसकी तारीख घोषित नहीं हुई है। कहा जा रहा है कि यह टल भी सकता है क्योंकि तीन महीने बाद होने वाले चुनाव के लिहाज से वे कुछ नए चेहरों को सरकार में शामिल करना चाहते हैं। कांग्रेस भी कुछ बदलाव करने वाली है।
असल में कांग्रेस विधायक दल के नेता और सरकार के वरिष्ठ मंत्री आलमगीर आलम को भ्रष्टाचार के मामले में ईडी ने गिरफ्तार कर लिया है। उनकी जगह कांग्रेस को नया मंत्री बनवाना है। सरकार की एकमात्र महिला मंत्री जोबा मांझी लोकसभा सांसद बन गई हैं तो एक महिला मंत्री बनाने की भी बात हो रही है। इसी तरह एक दलित चेहरा सरकार में शामिल करने की चर्चा है। सो, आलमगीर की जगह इरफान अंसारी, जोबा मांझी की जगह दीपिका पांडे सिंह और दलित चेहरे के तौर बैद्धनाथ प्रसाद के नाम की चर्चा है। दिक्कत यह है कि दीपिका पांडे सिंह कांग्रेस की विधायक हैं। सो, उनको लाने के लिए कांग्रेस के एक मंत्री को हटाना होगा। बादल पत्रलेख को हटाए जाने की चर्चा थी लेकिन कहा जा रहा है कि उन्होंने कांग्रेस में कुछ नेताओं के साथ मिल कर अपना प्रबंधन किया है। मुख्यमंत्री पद से हटाए गए चम्पाई सोरेन का क्या होगा और क्या उनकी सरकार में मंत्री रहे बसंत सोरेन फिर से मंत्री बनेंगे, यह सवाल भी है। तभी कहा जा रहा है कि हेमंत सोरेन के लिए बहुमत की चिंता नहीं है। वे बहुमत आसानी से साबित कर देंगे लेकिन मंत्रिमंडल का विस्तार सिरदर्द बन रहा है।