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केजरीवाल क्या सीएम बन सकते हैं?

Arvind KejriwalImage Source: ANI

यह लाख टके का सवाल है कि अगर आम आदमी पार्टी दिल्ली विधानसभा चुनाव जीत जाती है तो क्या Arvind Kejriwal मुख्यमंत्री बनेंगे? पहली नजर में इस सवाल का कोई मतलब नहीं दिखेगा क्योंकि दिल्ली में आम आदमी पार्टी केजरीवाल के चेहरे पर चुनाव लड़ रही है, उनके नाम पर वोट मांग रही है और कह रही है कि आप जीती तो केजरीवाल सीएम होंगे तो फिर यह सवाल कहां से उठता है कि पार्टी जीती तो वे सीएम बनेंगे या नहीं? ध्यान रहे मुख्यमंत्री आतिशी ने शपथ लेने के साथ ही कह दिया था कि कुर्सी पर बैठने का उनका एकमात्र मकसद केजरीवाल को फिर से मुख्यमंत्री बनाना है।

वे तो उस कुर्सी पर भी नहीं बैठीं, जिस पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बैठते थे। पिछले दिनों एक न्यूज चैनल के कार्यक्रम में इंटरव्यू के दौरान एंकर ने खुद केजरीवाल से पूछा था कि अगर पार्टी जीतती है तो कौन मुख्यमंत्री बनेगा। इसके जवाब में केजरीवाल ने कहा था कि पार्टी उनके नाम और चेहरे पर लड़ रही है इसलिए जाहिर है कि मुख्यमंत्री बनेंगे।

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इसके बावजूद यह सवाल बेमानी नहीं है कि केजरीवाल मुख्यमंत्री बन सकते हैं या नहीं? अगर अभी की स्थितियों में कहें तो तकनीकी रूप से वे मुख्यमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं लेकिन उसका कोई मतलब नहीं होगा क्योंकि सुप्रीम कोर्ट की ओर से तय की गई जमानत की शर्तों के मुताबिक वे मुख्यमंत्री के तौर पर कोई नीतिगत फैसला नहीं कर पाएंगे। सुप्रीम कोर्ट की ओर से लगाई गई शर्तों के मुताबिक, केजरीवाल न तो मुख्यमंत्री कार्यालय जा सकते हैं और न दिल्ली सरकार के सचिवालय जा सकते हैं। इतना ही नहीं उप राज्यपाल की अनुमति के बगैर वे किसी फाइल पर दस्तखत नहीं कर पाएंगे। साथ ही दिल्ली की शराब नीति में हुए कथित घोटाले से जुड़ी कोई भी फाइल वे नहीं देख सकेंगे।

सोचें, जब नीतिगत फैसले नहीं कर सकते हैं, मुख्यमंत्री कार्यालय नहीं जा सकेंगे और दिल्ली सरकार के सचिवालय भी नहीं जा सकेंगे तो मुख्यमंत्री बन कर क्या करेंगे? फिर वे दिल्ली की जनता के काम कैसे करेंगे? अगर सुप्रीम कोर्ट जमानत की शर्तों में बदलाव नहीं करता है तो यह भी संभावना है कि उप राज्यपाल उनको शपथ दिलाने से इनकार कर दें और उसके बाद फिर मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। वैसे केजरीवाल राजनीति में नए बेंचमार्क बनाते हैं। वे देश के पहले नेता हैं, जो गिरफ्तार हो गए, जेल चले गए, 156 दिन जेल में रहे लेकिन मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा नहीं दिया।

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तभी हो सकता है कि तमाम शर्तों के बीच भी वे शपथ लें और जनता के बीच कहते रहें कि उनको काम नहीं करने दिया जा रहा है। ध्यान रहे इसी तरह का फैसला इंदिरा गांधी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिया था। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जून 1975 में जब इंदिरा गांधी के चुनाव को रद्द किया तो वे सुप्रीम कोर्ट गई थीं और सुप्रीम कोर्ट में गर्मियों की अवकाशकालीन बेंच ने इंदिरा गांधी को आंशिक राहत देते हुए उनके संसद जाने पर रोक लगा दी थी। इसके बाद ही इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी लगाई थी। बहरहाल, जेल से छूटने के बाद केजरीवाल ने संभवतः सुप्रीम कोर्ट की शर्तों के कारण ही इस्तीफा दिया हो लेकिन अगर पार्टी जीतती है तो शायद वे इस तरह का स्टैंड नहीं लें।

By NI Political Desk

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