Naya India-Hindi News, Latest Hindi News, Breaking News, Hindi Samachar

केनरा बैंक ने रास्ता दिखाया है

सार्वजनिक क्षेत्र के अपेक्षाकृत एक छोटे बैंक केनरा बैंक ने रास्ता दिखाया है। बैंक ने बचत खातों में न्यूनतम बैलेंस नहीं होने पर जुर्माना लगाने का नियम रद्द कर दिया है। बैंक ने तय किया है कि एक जून से कोई जुर्माना नहीं काटा जाएगा। यानी किसी के खाते में निर्धारित न्यूनतम बैलेंस नहीं है तो उसके खाते से पैसे नहीं काटे जाएंगे। पिछले कुछ समय से सार्वजनिक और निजी बैंकों ने न्यूनतम बैलेंस नहीं होने पर जुर्माना लेना शुरू किया था। न्यूनतम बैलेंस नहीं होने पर खातों से अपने आप पैसे कट जाते हैं और खाते का पैसा खत्म होन पर खाता बंद हो जाता है। निजी बैंकों ने न्यूनतम बैलेंस पांच हजार से 10 हजार रुपए तक रखा है और इसे मेंटेन नहीं करने पर एक सौ से छह सौ रुपए महीने तक का जुर्माना लगता है।

पिछले दिनों यह मामला संसद में उठा था। आम आदमी पार्टी के नेता राघव चड्ढा ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा था कि बैंकों ने सिर्फ इस जुर्माने से वित्त वर्ष 2022-23 में साढ़े तीन हजार करोड़ रुपए खाताधारकों से वसूले। इसके अलावा बैंक, एक्स्ट्रा एटीएम यूज फीस, बैंक स्टेटमेंट फीस, इनएक्टिविटी फीस और एसएमएस अलर्ट फीस के नाम पर भी आम जनता के अकाउंट से पैसे काट लेते हैं। वित्त वर्ष 2023-24 में बैंकों ने न्यूनतम बैलेंस नहीं होने पर जुर्माने के तौर पर 2,331 करोड़ रुपए खाताधारकों से वसूले हैं। सोचें, न्यूनतम बैलेंस मेंटेन नहीं कर पाने वाले कौन लोग हैं? जाहिर है कि यह सबसे गरीब या निचले तबके के लोग हैं। उनसे भी बैंक हजारों करोड़ रुपए वसूल रहे हैं। केनरा बैंक ने एक रास्ता दिखाया है और अब सार्वजनिक क्षेत्र के बाकी 10 बैंकों को भी यह रास्ता अपनाना चाहिए। एक बार सरकारी बैंक यह जुर्माना खत्म कर दें तो निजी बैंकों की मजबूरी हो जाएगी।

Exit mobile version