यह लाख टके का सवाल है कि क्या 2011 में मनमोहन सिंह की सरकार ने जाति गणना कराई थी? राहुल गांधी बार बार दावा कर रहे हैं कि कांग्रेस की सरकार ने जाति गणना कराई और केंद्र सरकार को इसके आंकड़े जारी करने चाहिए। सवाल है कि जब 2011 की जनगणना में जाति गिनी गई थी तो कांग्रेस की सरकार ने उसे क्यों नहीं जारी किया था? मई 2014 में चुनाव हार कर सत्ता से बाहर होने से पहले कांग्रेस की सरकार ने 2011 की जनगणना के आंकड़े जारी कर दिए थे फिर उसी सरकार ने जाति के आंकड़े क्यों नहीं जारी किए? क्या इसके लिए भी राहुल गांधी वैसे ही माफी मांगेंगे, जैसे महिला आरक्षण के बिल में ओबीसी महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था नही करने के लिए मांगी है?
बहरहाल, असलियत यह है कि 2011 की जनगणना में जातियों की गिनती नहीं हुई थी। जाति जनगणना के फॉर्म में कुल 29 सवाल पूछे गए थे और उन सवालों की सूची अब भी उपलब्ध है। उसमें कोई सवाल जाति को लेकर नहीं पूछा गया था। इसका मतलब है कि जातियों की संख्या हर 10 साल पर होने वाली जनगणना का पार्ट नहीं है। जब जनगणना में जाति नहीं गिनने के लिए कांग्रेस सरकार की आलोचना हुई तो एक आर्थिक व सामाजिक सर्वेक्षण उसके साथ ही अलग से कराया गया। राहुल गांधी असल में उसके आंकड़े जार करने की बात कर रहे हैं। वह आंकड़ा जरूर सरकार के पास है। मीडिया में भी सूत्रों के हवाले से उसकी जानकारी बाहर आती है, जिसके मुताबिक हिंदू पिछड़ी जातियों की आबादी 45 फीसदी के करीब हैं।