देसी और विदेशी फिल्मों को प्रसारण का सर्टिफिकेट देने वाले केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड यानी सीबीएफसी में क्या चल रहा है? एक के बाद एक ऐसी गलतियां हो रही हैं, जो इससे पहले कभी नहीं हुई। ऐसा लग रहा है कि इस पर भी पहले करने और बाद में सोचने का सिंड्रोम हावी हो गया है। पिछले एक महीने में लगातार दूसरी बार हुआ है, जब किसी फिल्म को सर्टिफिकेट मिलने और रिलीज हो जाने के बाद उस पर विवाद हुआ और सीबीएफसी को उस फिल्म से सीन काटने पड़े। यह घटना पहले ‘आदिपुरुष’ फिल्म के मामले में हुई और अब हॉलीवुड की फिल्म ‘ओपनहाइमर’ के मामले में हो रही है। सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने सेंसर बोर्ड को निर्देश दिया है कि ‘ओपनहाइमर’ फिल्म के कुछ दृश्य हटाए जाएं नहीं तो फिल्म को मंजूरी देने वालों पर कार्रवाई होगी।
असल में हॉलीवुड की इस सुपर डुपर हिट फिल्म में एक अंतरंग दृश्य में हीरो को भगवद्गीता का पाठ करते दिखाया गया है। इसे लेकर विवाद हुआ तो सरकार एक्शन में आई और सूचना व प्रसारण मंत्री ने दृश्य काटने को कहा। इससे पहले ‘आदिपुरुष’ फिल्म के टपोरी किस्म के संवादों को लेकर विवाद हुआ था। रामायण पर आधारित इस फिल्म में हनुमान जी से लेकर कई दूसरे पात्रों के मुंह से ऐसे संवाद कहलवाए गए थे, जो आज सड़क छाप लोग बोलते हैं। इसे लेकर विवाद हुआ तो करीब 10 संवाद फिल्म में से हटाए गए। दोनों फिल्मों की गलतियां ऐसी हैं, जिनसे हिंदू धर्म के लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं। तभी सवाल है कि सेंसर बोर्ड और इसके प्रमुख प्रसून जोशी क्या कर रहे हैं? क्या उनको पता नहीं है कि अभी किस तरह की फिल्मों को मंजूरी देनी चाहिए और फिल्मों में से किस तरह के दृश्य और संवाद हटाने चाहिए?