केंद्रीय एजेंसियां सभी विपक्षी नेताओं की इच्छा पूरी कर रही हैं। यह कमाल हो रहा है कि जो भी नेता कहता है कि उसके यहां सीबीआई या ईडी आ सकती है उसके यहां सचमुच कोई न कोई एजेंसी पहुंच जा रही है। जो भी नेता कहता है कि उसको गिरफ्तार किया जा सकता है वह सचमुच गिरफ्तार भी हो जा रहा है। पिछले दिनों भाजपा के सांसद निशिकांत दुबे ने तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा के लिए यह बात कही थी। उन्होंने झारखंड के पंकज मिश्रा की मिसाल देते हुए कहा था कि वे भी कहते रहते थे कि सीबीआई आ जाए, ईडी आ जाए कोई परवाह नहीं है और वे एक साल से जेल में हैं। उसी तरह महुआ का भी मामला है। तो क्या महुआ मोइत्रा के यहां भी सीबीआई और ईडी पहुंचने वाली है?
पता नहीं उनके यहां कब एजेंसियां पहुंचेगी पहले तो संसद की एथिक्स कमेटी में गुरुवार को उनकी हाजिरी है। उसी दिन यानी दो नवंबर को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ईडी ने हाजिर होने का समन दिया है। पिछले काफी समय से आम आदमी पार्टी के नेता कह रहे हैं कि केंद्रीय एजेंसियां केजरीवाल को गिरफ्तार कर सकती है। ईडी का समन जारी होने के बाद आम आदमी पार्टी ने कहा कि केजरीवाल गिरफ्तार हो सकते हैं। दिल्ली सरकार के मंत्री और पार्टी के मुख्य प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने तो यहां तक कहा कि केजरीवाल गिरफ्तार होंगे तो तिहाड़ जेल से ही दिल्ली सरकार चलेगी। उन्होंने कहा कि तिहाड़ जेल से ही मुफ्त की बिजली और पानी दी जाएगी। एक अन्य मंत्री आतिशी ने भी कहा कि केजरीवाल को गिरफ्तार किया जा सकता है। यही बात उप मुख्यमंत्री रहे मनीष सिसोदिया और पार्टी के सांसद संजय सिंह के बारे में भी कही जा रही थी और दोनों सचमुच गिरफ्तार भी हो गए।
उधर बिहार में उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव बार बार कह रहे हैं कि उनको गिरफ्तार किया जा सकता है। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी एजेंसियों को गिरफ्तार करने की चुनौती दे रहे हैं। जिस तरह से इन दोनों नेताओं के आसपास के लोगों के खिलाफ कार्रवाई हुई। पूछताछ हुई है और गिरफ्तारी हुई है उसे देखते हुए लगता है कि कहीं लोकसभा चुनाव से पहले इनकी इच्छा भी न पूरी हो जाए। ध्यान रहे दिल्ली की शराब नीति के मामले में भी पहले से कोई खास कार्रवाई नहीं हो रही थी। भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री केजरीवाल पर आरोप लगाए जा रहे थे लेकिन उनको नोटिस आदि नहीं जारी हुआ था। जैसे ही दो कारोबारी सरकारी गवाह बने वैसे ही एजेंसी की कार्रवाई तेज हो गई और मुख्यमंत्री को समन जारी हो गया। सो, सभी राज्यों के विपक्षी नेताओं को सावधान हो जाना चाहिए और बारीकी से यह देखना चाहिए कि उनके करीबियों में से कौन सरकारी गवाह बन सकता है और कितना नुकसान पहुंचा सकता है। लोकसभा चुनाव से पहले अगर उन पर कार्रवाई होती है तो उनका चुनाव गड़बड़ाएगा।