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चीन से सीधे निवेश की अनुमति नहीं

वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि भारत की चीन से एफडीआई पर अपने प्रतिबंधों को हटाने की कोई योजना नहीं है।पीयूष गोयल ने वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार की आर्थिक सर्वेक्षण में चीन से एफडीआई निवेश के जो तर्क दिए उन्हे ले कर कहां कि सरकार विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) पर चीन पर लगे प्रतिबंधों को कम नहीं कर सकती है।वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आर्थिक सलाहकार नागेश्वरन के देश में अधिक चीनी निवेश की अनुमति देने के सुझाव का समर्थन किया था।

गोयल ने संवाददाताओं से बात करते हुए दोहराया कि चीनी एफडीआई को आने देने की कोई योजना नहीं है। उन्होंने कहा, ”देश में चीनी निवेश को को लेकर फिलहाल कोई पुनर्विचार नहीं हो रहा है।”

आर्थिक सर्वेक्षण हमेशा नए विचारों के बारे में बात करता है और अपनी सोच सामने रखता है। लेकिन उसके सुझाव, विचार सरकार के लिये बिल्कुल बाध्यकारी नहीं है।

अनंत नागेश्वरन ने समीक्षा में कहा था कि भारत को निर्यात को बढ़ावा देने और बीजिंग के साथ बढ़ते व्यापार घाटे को दूर करने के लिए चीन से एफडीआई आकर्षित करने पर विचार करना चाहिए।वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों से पता चला है कि चीन का सीधा निवेश बहुत कम है। बावजूद इसकेदोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार में भारी वृद्धि है। चीन 2023-24 में भारत के सबसे बड़े व्यापारिक भागीदार के रूप में उभरा है और आपसी व्यापार 118 बिलियनडालर जा पहुँचा है। और इसमें भारत का घाटा सुरसा की तरह लगातार बढ़ता हुआ है। इसी कारण  आर्थिक समीक्षा में चीन के साथ भारत के बढ़ते व्यापार अंतर को लेकर सुझाव है कि चीनी पूंजी को आकर्षित करने से आयात निर्भरता कम की जा सकती है।

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