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विपक्षी नेताओं को भी नागरिक सम्मान

आमतौर पर सत्तारूढ़ दल की ओर से अपनी विरोधी पार्टियों के नेताओं को सम्मानित करने की परंपरा नहीं रही है। लेकिन नरेंद्र मोदी की सरकार में यह परंपरा बदली है। मोदी सरकार में एक और परंपरा बदली है कि वहां अपने पुराने नेताओं को नागरिक सम्मान देने की शुरुआत हो गई है। पहले भाजपा अपने पुराने नेताओं को सम्मान नहीं देती थी। छह साल तक प्रधानमंत्री रहे अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने जनसंघ के संस्थापक नेताओं को सम्मानित नहीं किया था लेकिन नरेंद्र मोदी ने सत्ता में आने के एक साल बाद ही अटल बिहारी वाजपेयी को भारत रत्न से सम्मानित किया। सोचें, कांग्रेस के राज में ही जवाहरलाल नेहरू से लेकर इंदिरा गांधी और राजीव गांधी तक को भारत रत्न दिया गया लेकिन भाजपा के राज में दीनदयाल उपाध्याय या श्यामा प्रसाद मुखर्जी भारत रत्न नहीं पा सके। अब नरेंद्र मोदी ने लालकृष्ण आडवाणी को भी भारत रत्न दे दिया है और इससे पहले नानाजी देशमुख को भी दिया।

मोदी सरकार में विपक्षी नेताओं को भी खूब सम्मान मिल रहे हैं। भाजपा के धुर विरोधी रहे नेताओं को भी मोदी सरकार ने सम्मानित किया। पहले प्रणब मुखर्जी का भारत रत्न दिया गया। उनका पूरा जीवन कांग्रेस में बीता। लेकिन भाजपा सरकार न उनको भारत रत्न दिया। इसी तरह कारसेवकों पर गोली चलवाने वाले मुलायम सिंह यादव, जिनको भाजपा के नेता ‘मुल्ला मुलायम’ कहते थे उनको पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया। उनके साथ ही एनसीपी के संस्थापक शरद पवार को भी दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान यानी पद्म विभूषण दिया गया। पिछले दिनों समाजवादी नेता कर्पूरी ठाकुर को मोदी सरकार ने भारत रत्न से सम्मानित किया। सवाल है कि आगे किसकी बारी होगी? क्या कुछ और पुराने कांग्रेसी नेता भारत रत्न से सम्मानित होंगे? अगर यह ट्रेंड जारी रहा तो अगला नाम पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव का हो सकता है।

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