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वक्फ कानून पर बयान की मजबूरी

Patna, May 03 (ANI): Leader of the Opposition in the Bihar Legislative Assembly and Rashtriya Janata Dal (RJD) leader Tejashwi Yadav speaks during the 'Ati Pichhara Jagao Tejaswi Sarkar Banao' rally, at Miller School Ground in Patna on Saturday. (ANI Photo)

राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव कई तरह की दुविधा के शिकार हैं। उनको यह समस्या थी कि अगर ज्यादा मुस्लिम उम्मीदवार उतारे तो पार्टी की छवि मुस्लिमपरस्त वाली बनेगी। हालांकि पहले से ही राजद की छवि ऐसी है। दूसरी दुविधा यह थी कि मुस्लिम उप मुख्यमंत्री दावेदार घोषित कराया तब भी सांप्रदायिक ध्रुवीकरण हो सकता है, जिसका नुकसान होगा। इस चक्कर में उन्होंने कम मुस्लिम उम्मीदवार उतारे और उप मुख्यमंत्री पद का दावेदार नहीं बनाया। प्रशांत किशोर और असदुद्दीन ओवैसी ने इसे मुसलमानों के बीच मुद्दा बना दिया। इस बीच सिर्फ चार उम्मीदवार उतारने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुसलमानों के नाम अपील जारी कर दी। ध्यान रहे नीतीश ने पिछली बार 11 मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे लेकिन जीता कोई नहीं। तब वे बसपा से जीते जमां खान को पार्टी में लेकर आए और मंत्री बनाया।

नीतीश कुमार ने बताया कि उन्होंने मुसलमानों के लिए कितने काम किए हैं। पसमांदा मुसलमानों का रूझान उनकी ओर हमेशा रहता है और चुनाव बाद हुए सर्वेक्षणों में कई बार पता चला है कि भाजपा के साथ होने के बावजूद नीतीश की पार्टी जनता दल यू को 15 से 20 फीसदी मुस्लिम वोट मिलते रहे हैं। तभी नीतीश की अपील और पीके व ओवैसी के प्रचार ने तेजस्वी को मुश्किल में डाला। इस बीच उनकी पार्टी के एक एमएलसी कारी सोहैब ने वक्फ कानून को फाड़ कर फेंकने का बयान दे दिया। इसके बाद तेजस्वी यादव की मजबूरी हो गई कि वे इस पर स्टैंड लें। तभी उन्होंने कहा कि महागठबंधन की सरकार बनी तो वक्फ कानून को कूड़े में डाल देंगे। हालांकि उनको भी पता है और मुस्लिम समुदाय को भी पता है कि केंद्र सरकार के बनाए कानून का राज्य सरकार कुछ नहीं कर सकती है। फिर भी तेजस्वी ने यह बयान दिया। एनडीए ने उनके इस बयान को लपक लिया और वक्फ कानून पर ध्रुवीकरण का प्रयास शुरू कर दिया। टिकट कम देने और उप मुख्यमंत्री नहीं घोषित करने से ज्यादा समस्या तेजस्वी को इस बयान से होने वाली है।

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