कांग्रेस पार्टी की एक अहम बैठक पिछले हफ्ते हुई थी। आमतौर पर संसद की रणनीति समिति की बैठक सत्र शुरू होने के समय होती है लेकिन इस बार सत्र की घोषणा के साथ ही कांग्रेस की संसदीय रणनीति समूह की बैठक हुई। सोनिया गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे की मौजूदगी में हुई बैठक में संसद के मॉनसून सत्र की रणनीति पर चर्चा की गई। इसमें मुख्य रूप से कांग्रेस के सामने दो मुद्दे थे। पहला मुद्दा समान नागरिक संहिता का था और दूसरी दिल्ली सरकार से जुड़े केंद्र के अध्यादेश का था। दोनों मुद्दों पर कांग्रेस ने अपना रुख तय नहीं किया है।
समान नागरिक संहिता पर कांग्रेस के तमाम बड़े नेताओं ने विचार किया। बताया जा रहा है कि इस पर यह सहमति बनी कि पार्टी सोच समझ कर इस मामले में फैसला करेगी। जानकार सूत्रों का कहना है कि पार्टी के कई नेता नहीं चाहते हैं कि कांग्रेस इसका विरोध करे। क्योंकि इससे बहुसंख्यक हिंदू मतदाताओं के नाराज होने का खतरा है। समर्थन करने पर अल्पसंख्यक मतदातओं की नाराजगी का खतरा है। इसलिए कांग्रेस के लिए इसका फैसला आसान नहीं होगा। इसी तरह की स्थिति अध्यादेश के मामले में भी है। कांग्रेस के ज्यादातर नेता नहीं चाहते हैं कि कांग्रेस किसी तरह से आम आदमी पार्टी के साथ दिखे। इसलिए अध्यादेश के मसले पर भी कांग्रेस नेता तटस्थ रुख रखने की वकालत कर रहे हैं। उनका कहना है कि न केंद्र के अध्यादेश का समर्थन करना है और न विरोध करना है। यानी केंद्र और दिल्ली सरकार दोनों से समान दूरी रखनी है। सैद्धांतिक रूप से अध्यादेश का विरोध करने के बाद हो सकता है कि पार्टी वोटिंग से दूर रहे। लेकिन इसका फैसला सत्र शुरू होने पर जब बिल आएगा तभी किया जाएगा।