नई लोकसभा के गठन के बाद से ही संसद की स्थायी समिति के लिए खींचतान चल रही थी। पिछली लोकसभा में कांग्रेस के पास सिर्फ एक स्थायी समिति थी। लेकिन इस बार उसका दावा चार स्थायी समितियों का था। उसने सरकार पर दबाव बनाया हुआ था। उसका दबाव काम आया और उसके चार स्थायी समितियों की अध्यक्षता मिल गई। कांग्रेस को लोकसभा में तीन और राज्यसभा में एक स्थायी समिति की अध्यक्षता मिली है। विपक्षी पार्टियों में समाजवादी पार्टी, डीएमके और तृणमूल कांग्रेस को भी एक एक स्थायी समिति की अध्यक्षता मिल गई है। सरकार ने चार स्थायी समिति देने की कांग्रेस की मांग तो मान ली लेकिन उसकी पसंद के विभाग की स्थायी समिति नहीं दी।
कांग्रेस ने रक्षा मंत्रालय और गृह मंत्रालय की स्थायी समिति की अध्यक्षता मांगी थी। इसके अलावा वह सामाजिक अधिकारिता मंत्रालय की स्थायी समिति भी चाहती थी और विधि व न्याय मंत्रालय की अध्यक्षता भी उसने मांगी थी। पर सरकार ने इनमें से कोई भी स्थायी समिति कांग्रेस को नहीं दी है। ऐसा लग रहा है कि जान बूझकर वो सारे मंत्रालय छोड़ दिए गए, जो कांग्रेस ने मांगे थे। कांग्रेस को लोकसभा में विदेश मंत्रालय, कृषि मंत्रालय और ग्रामीण विकास मंत्रालय की स्थायी समिति की अध्यक्षता मिली है। राज्यसभा में कांग्रेस को शिक्षा मंत्रालय की स्थायी समिति की अध्यक्षता दी गई है।