कर्नाटक के विधानसभा चुनाव में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने प्रचार के दौरान कहा था कि राज्य के लोगों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आशीर्वाद पाने के लिए भाजपा को वोट देकर उसकी सरकार बनवानी चाहिए। लेकिन राज्य के लोगों ने ऐसा नहीं किया तभी लग रहा है कि केंद्र सरकार उनको आशीर्वाद नहीं दे रही है। ऐसा लग रहा है कि कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश दोनों राज्यों में लोगों को भाजपा को हरवाने का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। केंद्र सरकार की ओर से कुछ ऐसे नियम लागू किए गए हैं, जिनसे दोनों राज्यों की सरकारों के सामने संकट खड़ा हुआ और आगे लोगों को भी मुश्किल झेलनी पड़ेगी।
कर्नाटक सरकार ने अन्न भाग्य योजना के तहत लोगों को 10 किलो अनाज हर महीने देने का वादा किया है। इस वादे को पूरा करने के लिए राज्य सरकार ने फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया यानी एफसीआई से 2.28 लाख मीट्रिक टन अनाज खरीदने का प्रस्ताव रखा। एफसीआई ने घरेलू ओपन मार्केट सेल स्कीम के तहत राज्य सरकार को 2.22 लाख मीट्रिक टन अनाज देने की मंजूरी दे दी। एफसीआई की ओर से 12 जून को दो चिट्ठी लिख कर राज्य सरकार को मंजूरी दी गई। लेकिन अगले ही दिन यानी 13 जून के केंद्रीय खाद्य आपूर्ति मंत्रालय ने ओपन मार्केट सेल स्कीम के तहत राज्यों को अनाज बेचने पर रोक लगा दी। केंद्र की ओर से जारी नई चिट्ठी के मुताबिक निजी कंपनियां तो एफसीआई से मॉडरेट प्राइस पर चावल खरीद सकती हैं, लेकिन राज्य चावल व गेहूं नहीं खरीद सकते हैं।
इसी तरह हिमाचल प्रदेश सरकार के सामने संकट खड़ा हुआ है। केंद्र सरकार ने राज्य की कर्ज लेने की सीमा घटा दी है। हिमाचल प्रदेश सरकार पहले हर साल 14 हजार करोड़ रुपए तक कर्ज ले सकती थी। लेकिन केंद्र ने इसे घटा कर साढ़े आठ हजार करोड़ रुपए कर दिया है। इसके साथ ही बाहरी एजेंसियों से सहायता प्राप्त परियोजनाओं में भी अधिकतम सीमा तय कर दी है। संकट यह है कि हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस ने पुरानी पेंशन योजना बहाल करने का वादा किया है और कई मुफ्त की वस्तुओं और सेवाओं की घोषणा की है। इन सबके लिए राज्य सरकार को पैसे का इंतजाम करना मुश्किल हो रहा है।