india alliance: कांग्रेस को पिछले दो चुनाव से लोकसभा में मुख्य विपक्षी पार्टी का दर्जा नहीं मिल रहा था। इस बार लोकसभा में यह दर्जा मिला है तो राज्यसभा में मुख्य विपक्षी दल का दर्जा गंवाने का खतरा पैदा हो गया है।
संसद के उच्च सदन यानी राज्यसभा में कांग्रेस के सिर्फ 27 सांसद हैं। मुख्य विपक्षी पार्टी का दर्जा बनाए रखने के लिए उसके कम से कम 24 सांसद होने चाहिए।(india alliance)
लोकसभा चुनाव से पहले उसके सामने इसे लेकर चिंता नहीं थी। लेकिन दीपेंद्र हुड्डा, केसी वेणुगोपाल आदि के लोकसभा चुनाव जीत जाने की वजह से भाजपा की सीटें घट गईं।
हरियाणा और राजस्थान में कांग्रेस सांसदों के इस्तीफे से भाजपा को फायदा हुआ।(india alliance)
सो, कांग्रेस को मुख्य विपक्षी पार्टी का दर्जा बनाए रखने के लिए जितनी सीटों की जरुरत है उसके मुकाबले उसके पास सिर्फ चार सीटें ज्यादा हैं। अगले दो वार्षिक चुनाव में कांग्रेस ने अगर कुछ जोड़ तोड़ नहीं की तो उसका यह दर्जा समाप्त हो सकता है।
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राज्यसभा के सदस्यों के मौजूदा आंकड़ों के मुताबिक अगले साल होने वाले दोवार्षिक चुनावों में कांग्रेस के आठ सदस्य रिटायर हो रहे हैं। इनमें से छत्तीसगढ़ की दो सीटें हैं, जिनमें से सिर्फ एक सीट उसे मिलेगी।(india alliance)
महाराष्ट्र के उसके तीन सांसदों में से एक की सीट खाली हो रही है और अब जो संख्या है उसके हिसाब से कांग्रेस को अगले दो चुनावों में कोई भी सीट नहीं मिलने वाली है।
इसी तरह गुजरात से शक्ति सिंह गोहिल रिटायर हो रहे हैं और वहां 17 विधायकों के दम पर कांग्रेस को कोई सीट नहीं मिलने वाली है।(india alliance)
कांग्रेस के लिए उम्मीद की किरण यह है कि उसे तेलंगाना और कर्नाटक में एक एक सीट का फायदा हो सकता है।
फिर भी उसके राज्यसभा सांसदों की कुल संख्या 27 से नीचे आ सकती है। कह सकते हैं कि राज्यसभा में कांग्रेस का मुख्य विपक्षी दल का दर्जा कच्चे धागे से बंधा हुआ है।
तभी कहा जा रहा है कि कांग्रेस अगले साल झारखंड में एक सीट के लिए दबाव बनाएगी। अगर हेमंत सोरेन एक सीट कांग्रेस को देने पर राजी हो जाते हैं तो कांग्रेस की स्थिति कुछ सहज होगी।(india alliance)