कांग्रेस पार्टी के केंद्रीय नेता दिल्ली को लेकर क्या सोच रहे हैं, यह दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के नेताओं को भी समझ में नहीं आ रहा है। केंद्रीय नेतृत्व की मंजूरी से प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने दिल्ली में न्याय यात्रा की योजना बनाई। कहा गया है कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा की तर्ज पर कांग्रेस दिल्ली की सभी 70 विधानसभा सीटों में यह यात्रा लेकर जाएगी। दो महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस की यह बड़ी महत्वाकांक्षी योजना थी। कहा जा रहा था कि कांग्रेस के सारे शीर्ष नेता इस यात्रा में हिस्सा लेंगे। लेकिन चार चरण में एक महीने चलने के बाद यात्रा समाप्त हो गई, लेकिन कांग्रेस के किसी बड़े नेता ने इसमें हिस्सा नहीं लिया।
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जैसे तैसे प्रदेश कमेटी के नेताओं ने एक दिन थोड़ी देर के लिए हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंद सिंह सुक्खू को यात्रा में शामिल करने में कामयाबी हासिल की। यात्रा की शुरुआत करने में भी राहुल गांधी नहीं पहुंचे और कहा जा रहा था कि किसी दिन वे यात्रा में पैदल चलेंगे लेकिन वे समय नहीं निकाल पाए। सवाल है कि अपनी दिनचर्या के कारण राहुल समय नहीं निकाल पाए या जान बूझकर उन्होंने और मल्लिकार्जुन खड़गे और प्रियंका गांधी वाड्रा ने दूरी रखी?
क्या कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व अब भी आम आदमी पार्टी के साथ तालमेल का रास्ता खोले रखना चाह रहा है? जानकार सूत्रों का कहना है कि अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी की सरकार के खिलाफ दिल्ली की सड़कों पर राहुल, प्रियंका और खड़गे के उतरने के बाद तालमेल की संभावना पूरी तरह से खत्म हो जाती। तभी शीर्ष नेता यात्रा से दूर रहे हैं। हालांकि केजरीवाल के तेवर से लग नहीं रहा है कि वे तालमेल के लिए तैयार होंगे।