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कांग्रेस का ओबीसी प्रेम नया है

कांग्रेस का ओबीसी प्रेम नया है

जिस तरह से भाजपा और केंद्र सरकार का भारत प्रेम जागा है उसी तरह कांग्रेस पार्टी का ओबीसी प्रेम जागा है। भाजपा का भारत प्रेम नया नया है तो कांग्रेस का ओबीसी प्रेम नया नया है। कांग्रेस कुछ दिनों से यह ओबीसी कार्ड बहुत सुनियोजित तरीके से खेल रही है। चार राज्यों में कांग्रेस की सरकार है, जिसमें से तीन राज्यों में ओबीसी मुख्यमंत्री हैं। राजस्थान, छत्तीसगढ़ और कर्नाटक तीन बड़े राज्यों में कांग्रेस के मुख्यमंत्री पिछड़ी जाति के हैं। अमित शाह का यह आरोप सही है कि कांग्रेस ने आज तक ओबीसी प्रधानमंत्री नहीं बनाया। असल में जब कांग्रेस प्रधानमंत्री बनाने की स्थिति में थी तब उसका ओबीसी प्रेम नहीं जागा था।

बहरहाल, नए नए प्रेम के तहत ही कांग्रेस संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी, पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और कांग्रेस के सबसे बड़े नेता राहुल गांधी तीनों महिला आरक्षण में ओबीसी महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था करने की मांग की। सोनिया और राहुल गांधी ने लोकसभा में बिल पर चर्चा करते हुए इसकी मांग उठाई। राहुल ने तो यहां तक कहा कि जब तक ओबीसी महिलाओं का आरक्षण इसमें नहीं शामिल किया जाता है तब तक यह बिल अधूरा है। विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की पार्टियां के नेताओं ने भी महिला आरक्षण में ओबीसी के लिए सीटें आरक्षित करने की मांग की।

कांग्रेस बार बार हवाला दे रही है कि यह उसका बिल है। नए संसद भवन की पहले दिन की कार्यवाही में तो इसे लेकर अधीर रंजन चौधरी और अमित शाह के बीच खूब नोक-झोंक भी हुई। अधीर रंजन ने कहा कि कांग्रेस ने मार्च 2010 में जो बिल पास कराया था वह अब भी जीवित है। बाद में अमित शाह ने कहा कि बिल राज्यसभा से पास होकर लोकसभा में चला गया था। भले कांग्रेस ने उसे लोकसभा में पेश नहीं किया लेकिन वह बिल लोकसभा की प्रॉपर्टी बन चुका था और इसलिए 2014 में लोकसभा का कार्यकाल खत्म होते ही बिल समाप्त हो गया। दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस के उस बिल में भी ओबीसी महिलाओं के लिए अलग से आरक्षण की व्यवस्था नहीं थी।

सोचें, जब कांग्रेस ने बिल बनाया तो उसमें भी उसने ओबीसी महिलाओं के लिए आरक्षण का प्रावधान नहीं किया था। कांग्रेस ने यह बिल 2008 में पेश किया था और 2010 में राज्यसभा में यह पास हुआ था। इस बीच कांग्रेस की सहयोगी पार्टियों के साथ साथ मंडल की राजनीति करने वाली दूसरी पार्टियां इसका विरोध करती रही थीं। कांग्रेस का वहीं बिल था, जिसके विरोध में शरद यादव ने कहा था कि अगर यह बिल पास हुआ तो वे जहर खा लेंगे। कांग्रेस के नेता कहते हैं कि लालू प्रसाद और मुलायम सिंह की चिंता में उस समय मनमोहन सिंह की सरकार ने वह बिल लोकसभा में नहीं पेश किया। बिल्कुल वहीं बिल भाजपा सरकार ने पेश किया है तो कांग्रेस का ओबीसी प्रेम जाग गया है।

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