atishi nomination: दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने मंगलवार यानी 14 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन अपना नामांकन दाखिल किया। हालांकि उन्होंने पूरी तैयारी दिखाई थी कि वे 13 जनवरी को नामांकन दाखिल करेंगी।
परंतु बाद में कहा गया कि रोड शो में देरी हो गई और उनको पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल के साथ मुख्य चुनाव आयुक्त से मिलने जाना था इसलिए उन्होंने नामांकन टाल दिया। लेकिन असम में ऐसा नहीं था।
जानकार सूत्रों के मुताबिक आतिशी को 13 जनवरी को नामांकन करना ही नहीं था। तभी जान बूझकर उनके रोड शो में देरी की गई और उस बहाने नामांकन टाला गया।
असल में वे अपने को प्रगतिशील कहती हैं और उनके माता पिता कम्युनिस्ट विचारों वाले रहे हैं तभी उन्होंने आतिशी का उपनाम मार्लेना रखा था, जो मार्क्स और लेनिन के नाम को मिला कर बना था। दूसरी ओर मलमास का टोटका होता है, जिसमें कोई शुभ कार्य नहीं किया जा सकता है।
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अगर इस आधार पर आतिशी नामांकन टालती थीं तो उनकी प्रगतिशीलता पर सवाल उठता। तभी वे मकर संक्रांति से एक दिन पहले 13 जनवरी को नामांकन करने निकलने का दिखावा किया और फिर एक बहाने से उसे टाल दिया।
इसके बाद उन्होंने 14 जनवरी को नामांकन किया। आतिशी अकेले नहीं हैं, जिन्होंने नामांकन के लिए मकर संक्रांति का इंतजार किया।
चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक तीनों बड़ी पार्टियां, जो दिल्ली में चुनाव लड़ रही हैं उनके किसी भी उम्मीदवार ने 13 जनवरी तक नामांकन नहीं किया।
सोचें, आम आदमी पार्टी के सभी 70 उम्मीदवार घोषित हैं लेकिन किसी ने नामांकन नहीं किया। भाजपा के 59 और कांग्रेस के 48 उम्मीदवार घोषित हैं लेकिन उनमें से भी किसी ने नामांकन नहीं किया।
नामांकन का काम 10 जनवरी से शुरू हुआ और कुछ निर्दलीय व छोटी छोटी पार्टियों के कुछ उम्मीदवारों ने ही परचा भरा। सो, कह सकते हैं कि असली नामांकन 14 जनवरी से ही शुरू हुआ है और सारे उम्मीदवार बचे हुए चार दिनों में ही नामांकन करेंगे।