दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने बड़ा जोखिम लिया है। उन्होंने दिल्ली नगर निगम में अपनी पार्टी के बहुमत को दांव पर लगा दिया है। केजरीवाल ने इस बार विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी के सात पार्षदों को विधानसभा चुनाव की टिकट दी है। अगर ये पार्षद विधानसभा का चुनाव जीत जाते हैं तो उनको निगम से इस्तीफा देना होगा, जहां आम आदमी पार्टी को बहुत मामूली बहुमत है। भाजपा के साथ उसकी संख्या लगभग बराबरी की है और उसके कई पार्षद पाला बदल कर भाजपा के साथ जा चुके हैं। ध्यान रहे निगम में दलबदल का कानून लागू नहीं होता है।
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गौरतलब है कि पिछले दिनों दिल्ली के मेयर के चुनाव में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार महेश खींची तीन वोट से जीते थे। उनको 133 और भाजपा उम्मीदवार किशनलाल को 130 वोट मिले थे। कांग्रेस के आठ पार्षदों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया था। सो, अगर आप के सात पार्षद विधानसभा का चुनाव जीत जाते हैं तो निगम में आप का बहुमत समाप्त हो जाएगा। उसे कांग्रेस के ऊपर निर्भर रहना होगा।
ऐसा लग रहा है कि केजरीवाल ने दिल्ली विधानसभा चुनाव को जीवन मरण का चुनाव बनाया है। उनको लग रहा है कि अगर दिल्ली नहीं जीते तो दिल्ली नगर निगम का बहुमत भी ज्यादा समय नहीं टिकेगा। केंद्र और राज्य दोनों में भाजपा के आने से एमसीडी के पार्षदों का टूटना बहुत आसान हो जाएगा। इसलिए उन्होंने सारा ध्यान दिल्ली विधानसभा चुनाव पर लगाया है।