आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दिल्ली के सभी नागरिकों को कुछ न कुछ अपनी तरफ से यानी दिल्ली सरकार की तरफ से देंगे लेकिन दिल्ली के मध्य वर्ग के लिए वे सिर्फ मांग करेंगे। उन्होंने दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले मध्य वर्ग का घोषणापत्र जारी किया। जब उनकी तरफ से कहा गया कि वे बुधवार को मध्य वर्ग के लिए कोई बड़ी घोषणा करने जा रहे हैं तो सबकी दिलचस्पी थी कि वे करेंगे। लेकिन जब उन्होंने घोषणा की तो कहा कि वे मध्य वर्ग के लिए केंद्र सरकार से सात मांग करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि उनके सांसद संसद के बजट सत्र में इन मांगों को उठाएंगे।
असल में केजरीवाल को पता है कि दिल्ली का मध्य वर्ग उनको वोट नहीं करता है। भारतीय जनता पार्टी को हर चुनाव में जो औसतन 35 फीसदी वोट मिलता है वह दिल्ली के मध्य वर्ग का वोट होता है। वह वोट टूटता नहीं है। इसलिए केजरीवाल ने उस वर्ग को कुछ देने की बजाय उनको यह बताने का प्रयास किया कि उनकी जो भी समस्याएं हैं वह भाजपा की केंद्र सरकार की वजह से हैं। इसलिए वे केंद्र सरकार से मध्य वर्ग के लिए मांग कर रहे हैं। सवाल है कि इसमें घोषणापत्र क्या है? जानकार सूत्रों का कहना है कि उनको मीडिया की खबरों से पता चला है कि केंद्र सरकार इस साल बजट में आयकर छूट की सीमा बढ़ा सकती है। इसलिए उन्होंने पहले ही मांग कर दी कि आयकर छूट की सीमा बढ़ाई जाए। उन्होंने इसी तरह की सात मांगें केंद्र सरकार के सामने रखी है और इसी को मध्य वर्ग के लिए घोषणापत्र कहा है। आंख में धूल झोंकने का इतना प्रत्यक्ष काम देश में दूसरा कोई नेता नहीं कर सकता है।