लड़ाई में जीत हार अपनी जगह है। लेकिन यह देखना भी कम दिलचस्प नहीं होता है कि कौन कैसे लड़ रहा है। इस मामले में भारतीय जनता पार्टी हर बार बाकी पार्टियों को सबक देखी है। कह सकते हैं कि भाजपा की केंद्र में सरकार है, उसके पास सारी सुविधाएं हैं, वह सबसे संपन्न पार्टी है और चुनावों में किसी भी दांव के इस्तेमाल को गलत नहीं मानती है। लेकिन ऐसी स्थिति में कांग्रेस भी रही है और राज्यों में अनेक प्रादेशिक पार्टियां हर तरह से संपन्न हैं फिर भी एकाध पार्टियों को छोड़ कर कोई भी इतने व्यवस्थित तरीके से और इतने बारीक प्रबंधन के साथ चुनाव नहीं लड़ता है, जैसे भाजपा से लड़ती है। इस बार दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी भाजपा जीते या हारे लेकिन वह कोई कसर नहीं छोड़ रही है।
अगर उसके बारीक प्रबंधनों की बात करें तो सबसे ताजा मामला पांच फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महाकुंभ में डुबकी लगाने का है। गौरतलब है कि पांच फरवरी को दिल्ली में मतदान होना है। जिस समय दिल्ली के लोग वोट डालने निकलने वाले होंगे उस समय चारों तक मोदी को महाकुंभ में डुबकी लगाने के वीडियो चल रहे होंगे। प्रधानमंत्री जिस धज के साथ धार्मिक गतिविधियों को संपूर्ण करते हैं उसका असर बहुत गहरा होता है। सो, पांच फरवरी को संगम पर उनकी डुबकी और उसके बाद सोशल मीडिया में उनकी अपील का कुछ न कुछ तो असर होगा। ध्यान रहे लोकसभा चुनाव में ये कई चरण में होने वाले राज्यों के चुनाव में एक चरण के मतदान के दिन दूसरे इलाके में रैली करने की परंपरा भी बारीक प्रबंधन के सिद्धांत के तहत नरेंद्र मोदी ने ही शुरू की थी। बहरहाल, पहले खबर आई थी कि पांच फरवरी को राहुल और प्रियंका महाकुंभ में जा सकते हैं लेकिन बाद में इसकी फिर चर्चा नहीं हुई।
पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में केंद्रीय कर्मचारियों के लिए आठवें वेतन आयोग के गठन की मंजूरी दी गई। सबको पता है कि दिल्ली में सबसे ज्यादा केंद्रीय कर्मचारी हैं। उसमें भी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के चुनाव क्षेत्र नई दिल्ली में। यह ऐसा मामला है, जिसमें कांग्रेस या केजरीवाल कोई आचार संहिता या किसी और कारण से सवाल भी नहीं उठा सकते हैं क्योंकि फिर उनको केंद्रीय कर्मचारियों का विरोधी मान लिया जाएगा। हालांकि अभी तक कमेटी की मंजूरी के अलावा कोई फैसला नहीं हुआ है लेकिन इसका भी कुछ न कुछ असर केंद्रीय कर्मचारियों पर होगा।
यह संयोग है या प्रयोग लेकिन दिल्ली विधानसभा चुनाव के अधबीच उत्तराखंड सरकार समान नागरिक संहिता यानी यूसीसी लागू करने जा रही है। कैबिनेट ने इसे लागू करने के लिए नियमों को अधिसूचित कर दिया है। अब किसी भी दिन इसे लागू किया जा सकता है। ध्यान रहे दिल्ली में उत्तराखंड की बड़ी आबादी रहती है, जहां उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सभाओं की बड़ी मांग हो रही है। इस बीच पिछले कुछ दिनों से अचानक वक्फ बोर्ड बिल पर बनी जेपीसी की चर्चा तेज हो गई है। जेपीसी के सदस्यों ने लखनऊ का दौरा किया है और उसके बाद खबर आई कि संसद के बजट सत्र में इसकी सिफारिशें पेश की जाएंगी। सो, जमीनी स्तर पर बारीक प्रबंधन अपनी जगह है लेकिन प्रधानमंत्री के महाकुंभ में डुबकी लगाने, आठवें वेतन आयोग की घोषणा, उत्तराखंड में यूसीसी लागू होने और वक्फ बोर्ड कानून में बदलाव की बातों से धारणा को प्रभावित करने वाले प्रबंधन अलग हो रहे हैं।