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भाजपा के टिकट बंटवारे में गड़बड़ी कैसे हुई?

rahul gandhiImage Source: ANI

भारतीय जनता पार्टी दिल्ली विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे में सबसे पीछे रही। सबसे पहले आम आदमी पार्टी ने सभी 70 सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा कर दी। उसके बाद कांग्रेस ने तीन बार में 48 उम्मीदवार घोषित कर दिए। लेकिन भाजपा ने चुनावों की घोषणा का इंतजार किया और उसके बाद अपने उम्मीदवारों की घोषणा शुरू की। तीन सूची में उसने कुल 59 उम्मीदवार घोषित किए। इससे लगा कि भाजपा बहुत जमीनी फीडबैक ले रही है और सोच विचार करके टिकट दे रही है। लेकिन पहली सूची में इस बात को लेकर विवाद हुआ कि उसने कांग्रेस और आप से आए लोगों को बड़ी संख्या में टिकट दिया तो दूसरी सूची में इस बात का विवाद हुआ कि कपिल मिश्रा को करावल नगर कैसे भेजा गया।

गौरतलब है कि कपिल मिश्रा पहले आम आदमी पार्टी में थे और करावल नगर से ही 2015 में विधानसभा का चुनाव जीते थे। बाद में वे अरविंद केजरीवाल की सरकार में मंत्री भी बने थे। लेकिन 2019 में पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए उनको निकाल दिया गया तो वे भाजपा में चले गए। भाजपा ने उनको 2020 में मॉडल टाउन सीट से चुनाव लड़ाया लेकिन वे हार गए। इस बार भाजपा ने फिर उनको करावल नगर से टिकट दे दिया, जहां से पांच बार मोहन सिंह बिष्ट विधायक रहे हैं। उत्तराखंड के और राजपूत समाज के बिष्ट का सम्मान भी है और समर्थन भी। उनका टिकट कटने के बाद विवाद शुरू हो गया और मजबूर होकर भाजपा को उन्हें मुस्तफाबाद सीट से टिकट देना पड़ा। भाजपा ने उनके अकेले नाम की तीसरी सूची जारी की। भाजपा दोनों सीटों का समीकरण बिगाड़ दिया है। उसके पुराने नेता जगदीश प्रधान मुस्तफाबाद सीट से तीन बार से चुनाव लड़ रहे थे और एक बार जीते भी थे।

By NI Political Desk

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