यह बहुत दिलचस्प है कि दिल्ली में एक चुनी हुई सरकार है और उसका चुना हुआ मुख्यमंत्री है लेकिन केंद्र सरकार उससे बात नहीं करती है। किसी भी आपदा की स्थिति में जानकारी लेने के लिए जैसे दूसरे राज्यों में मुख्यमंत्रियों को फोन किया जाता है वैसा फोन दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को नहीं आता है। इसका मतलब है कि केंद्र सरकार ने और शीर्ष के लोगों ने दिल्ली के उप राज्यपाल को ही सरकार मानने के कानून यानी जीएनसीटीडी एक्ट को शब्दशः और काफी गंभीरता से लिया है। इसलिए चाहे प्रधानमंत्री हों या केंद्रीय गृह मंत्री वे सीधे उप राज्यपाल से ही बात करते हैं।
दिल्ली की बाढ़ के मामले में यह देखने को मिला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विदेश दौरे से लौटे तो बताया गया कि उन्होंने उप राज्यपाल को फोन करके दिल्ली के हालात की जानकारी ली। फिर वापस दिल्ली में यमुना का पानी बढ़ने लगा तो केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली के उप राज्यपाल विनय कुमार सक्सेना को फोन करके हालात की जानकारी ली और राहत व बचाव के लिए तैयार रहने का निर्देश दिया। जिस दिन अमित शाह ने विनय सक्सेना से बात की उसी दिन उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल से भी बात की क्योंकि वहां भी जूनागढ़ में बाढ़ आई है। इस तरह से मोदी और शाह दोनों ने साफ कर दिया है कि वे केजरीवाल को दिल्ली का कुछ नहीं मानते हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आगे केंद्र सरकार मुख्यमंत्रियों की कोई बैठक करती है तो उसमें केजरीवाल को बुलाती है या सक्सेना को?