प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2047 तक यानी आजादी के सौ साल पूरे होने तक भारत को विकसित बनाने का लक्ष्य रखा है। वे जगह जगह कह रहे हैं कि अगर लोगों ने भारत में बनी चीजें खरीदनी शुरू कर दी और विदेशी चीजों का बहिष्कार शुरू कर दिया तो भारत 2047 से पहले भी विकसित हो सकता है।
लेकिन अगर ऐसा नहीं भी हुआ तब भी अगले 22 साल में भारत विकसित होगा। लेकिन सवाल है कि ऐसा कैसे होगा, जब अभी तक देश की राजधानी दिल्ली ही विकसित नहीं हो पाई है? यह सवाल इसलिए है क्योंकि दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने ‘विकसित दिल्ली’ बनाने का लक्ष्य तय किया है। अपनी सरकार के सौ दिन पूरे होने के मौके पर उन्होंने कहा कि सौ दिन में ही बहुत काम कर दिया गया है और अब ‘विकसित दिल्ली’ बनाने के लक्ष्य के लिए काम करना है।
सोचें, दिल्ली जो देश के लोगों के सपने का शहर है, जहां देश भर से लोग रोजगार के लिए, अच्छी पढ़ाई के लिए, बेहतर जीवन के लिए आ रहे हैं उसकी मुख्यमंत्री का कहना है कि दिल्ली अभी पिछड़ा हुआ राज्य है और इसे विकसित बनाना है। अगर दिल्ली विकसित नहीं हुई तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि देश के बाकी हिस्सों की क्या स्थिति होगी! यह भी सोचा जा सकता है कि उन राज्यों या क्षेत्रों को विकसित बनाने में कितना समय लगेगा! यह सवाल इसलिए भी है क्योंकि दिल्ली देश के सबसे विकसित राज्यों में से एक है।
विकसित भारत 2047 और दिल्ली का सवाल
अगर गोवा और सिक्किम जैसे दो छोटे छोटे राज्यों को छोड़ दें तो दिल्ली प्रति व्यक्ति आय के मामले में तीसरे नंबर का राज्य है। दिल्ली में प्रति व्यक्ति आय करीब पांच लाख रुपए है, राष्ट्रीय औसत से करीब ढाई गुना ज्यादा है। प्रति व्यक्ति आय के अलावा केंद्रीय विश्वविद्यालयों, स्कूलों, कॉलेजों, अस्पतालों आदि के लिहाज से भी दिल्ली बाकी राज्यों से काफी आगे है। दिल्ली सिर्फ राजनीतिक सत्ता का केंद्र नहीं है, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य और यहां तक कि सांस्कृतिक सत्ता का भी केंद्र दिल्ली बन गई है। इसके बावजूद भाजपा की मुख्यमंत्री मान रही हैं कि यह अभी पिछड़ा राज्य है और इसे विकसित बनाना है।
अब सवाल है कि दिल्ली राजधानी होने के बावजूद विकसित क्यों नहीं हुई? पिछले 11 साल से केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है और नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री हैं। उनके नियुक्त किए उप राज्यपाल के जरिए केंद्र सरकार ही दिल्ली में शासन कर रही है। केंद्र सरकार ने तो कानून बना कर उप राज्यपाल को ही दिल्ली की असली सरकार घोषित कर दिया है। इसका मतलब है कि किसी न किसी रूप में दिल्ली में पिछले 11 साल से भाजपा का ही शासन है। फिर भी दिल्ली को विकसित करने के लिए नरेंद्र मोदी की सरकार और दिल्ली की उप राज्यपाल की सरकार ने कुछ क्यों नहीं किया?
दो करोड़ की आबादी और एक छोटे भौगोलिक इलाके वाली दिल्ली को अगर 11 साल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार विकसित नहीं बना सकी तो फिर कैसे उम्मीद की जाए कि 140 करोड़ लोगों का विशाल देश अगले 22 साल में विकसित हो जाएगा? राजधानी तो देश का गेटवे होता है। सारी दुनिया पहले राजधानी में ही पहुंचती है और उसी की स्थिति पिछड़े राज्य वाली है तो फिर इतने दिनों से किस विकास का डंका बजाया जा रहा है?
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