कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने अरविंद केजरीवाल को जवाब तो दे दिया लेकिन इससे पार्टी की दुविधा खत्म नहीं हुई है। खड़गे ने कह दिया कि केंद्र सरकार ने जो अध्यादेश जारी किया है उस पर कांग्रेस का क्या रुख होगा, यह संसद के मॉनसून सत्र में तय किया जाएगा। लेकिन सवाल है कि क्या तय किया जाएगा? कांग्रेस क्या करेगी? मुख्य विपक्षी पार्टी होने के नाते कांग्रेस सरकार के लाए विधेयकों का विरोध करती है। उसमें कमियां निकालती है। उसके सांसद संशोधन पेश करते हैं। कई बार विरोध में भाषण करने के बाद पार्टी वोटिंग के समय वाकआउट कर जाती है तो कई बार खिलाफ में वोट करती है।
तभी सवाल है कि इस बार कांग्रेस क्या करेगी? ध्यान रहे केंद्र सरकार ने जो अध्यादेश लागू किया है उसके दो पहलू हैं। पहला तो यह कि उसने इस अध्यादेश के जरिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलट दिया है। और दूसरे, दिल्ली सरकार के अधिकारियों की नियुक्ति और तबादले का अधिकार अपने हाथ में रखने का केंद्र सरकार का फैसला संघवाद की धारणा के खिलाफ है और इससे दूसरे राज्यों के लिए चिंता होनी चाहिए। सो, वैचारिक और सैद्धांतिक रूप से कांग्रेस को इस अध्यादेश का विरोध करना होगा। इसका एक तीसरा पहलू यह है कि कांग्रेस के अलावा देश की लगभग सभी विपक्षी पार्टियों ने केजरीवाल से वादा किया है कि वो इस अध्यादेश का विरोध करेंगी।
कांग्रेस की मुश्किल यह है कि अगर वह बाकी विपक्षी पार्टियों की तरह इस अध्यादेश का विरोध करती है तो यह केजरीवाल यह मैसेज बनवाएंगे कि विपक्ष के दबाव में और मजबूरी में कांग्रेस ने इसका विरोध किया है। दूसरे, वे यह मैसेज भी बनवा रहे हैं कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के साथ उनकी ही लड़ाई है और इसलिए केंद्र सरकार उनको परेशान कर रही है, उनके अधिकार छीन रही है। वे अपने को भाजपा का मुख्य विपक्षी बना रहे हैं और अपने एजेंडे के ईर्द-गिर्द विपक्ष को एकजुट करने का संदेश बनवा रहे हैं। कांग्रेस को चिंता है कि वह कहीं इस मसले पर आप का पिछलग्गू न दिखे।
सो, कांग्रेस की स्थिति सांप-छछूंदर वाली हो गई है। अगर वह बाकी विपक्षी पार्टियों के साथ इसका विरोध नहीं करती है तो ऐसा लगेगा कि वह सरकार के साथ है। आम आदमी पार्टी ने पहले से कहना शुरू कर दिया है कि कांग्रेस ने भाजपा से हाथ मिला लिया है। अगर कांग्रेस इसका विरोध करती है तो केजरीवाल के साथ होने का संदेश जाएगा, जो कांग्रेस नहीं चाहती है क्योंकि राज्यों के चुनाव में आप इसका इस्तेमाल कर सकती है। तभी कांग्रेस को सावधानी से इस बारे में रणनीति बनानी होगी। उसके सांसद सदन में इसके विरोध में तो भाषण देंगे लेकिन उसके बाद वोटिंग में हिस्सा लेना है या वाकआउट करना है, इसका फैसला करना होगा।