बिहार में राष्ट्रीय जनता दल के विधायक आलोक मेहता के यहां प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने छापा मारा है। किसी कथित बैंकिंग घोटाले में उनके यहां और उनके करीबियों के यहां छापे मारे गए हैं। कहा जा रहा है कि घोटाला एक सौ करोड़ रुपए का है। गौरतलब है कि बिहार में इसी साल विधानसभा का चुनाव है और उससे पहले मुख्य विपक्षी दल के एक प्रमुख नेता के यहां छापेमारी के कई अर्थ निकाले जा रहे हैं। इसके पीछे गहरी राजनीति देखी जा रही है। गौरतलब है कि आलोक मेहता कुशवाहा समाज से आते हैं और पिछले साल वे उजियारपुर सीट पर केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय के खिलाफ चुनाव लड़े थे। कुशवाहा समाज के लोगों ने खुल कर उनका समर्थन किया था।
बिहार में पिछले लोकसभा चुनाव में विपक्षी गठबंधन ने जहां भी कुशवाहा उम्मीदवार दिया था वहां नीतीश और भाजपा का लव कुश समीकरण टूट गया था और कुशवाहा वोट विपक्ष को मिला था। अब चर्चा थी कि लालू प्रसाद बिहार प्रदेश राजद अध्यक्ष जगदानंद सिंह की जगह आलोक मेहता को अध्यक्ष बनाने वाले हैं। उससे पहले उनको यहां ईडी का छापा पड़ गया है। अगर इसके बावजूद लालू प्रसाद उनको प्रदेश अध्यक्ष बनाते हैं तो भाजपा और जदयू दोनों के लिए मुश्किल होगी। नीतीश लव कुश यानी कुर्मी व कोईरी समीकरण का प्रतीक चेहरा हैं और भाजपा ने कुशवाहा समाज के सम्राट चौधरी को उप मुख्यमंत्री बना कर उनको अपना चेहरा बनाया है। इसके बावजूद एक बड़े कुशवाहा नेता के यहां छापेमारी हुई तो इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। कुशवाहा बहुत संवेदनशील और चतुराई के साथ वोट करने वाला जातीय समूह है।