झारखंड में विधानसभा की एक और सीट पर उपचुनाव होने वाला है। इससे पहले संभवतः कभी एक विधानसभा में इतने उपचुनाव नहीं हुए हैं। 81 सदस्यों की विधानसभा में यह छठा उपचुनाव है। इससे पहले पांच उपचुनावों में सिर्फ एक बार भाजपा की सहयोगी पार्टी आजसू जीत पाई। बाकी चारों उपचुनावों में कांग्रेस और जेएमएम की जीत हुई थी। इसलिए लोकसभा चुनाव से पहले हो रहे संभवतः इस आखिरी उपचुनाव में भाजपा की परीक्षा होनी है। हालांकि इसमें भी भाजपा की जीत की संभावना कम ही दिख रही है क्योंकि खाली हुई सीट झारखंड मुक्ति मोर्चा के असर वाली है। देश के अलग अलग राज्यों की छह अन्य सीटों के साथ इस सीट पर पांच सितंबर को चुनाव होगा।
चुनाव आयोग ने झारखंड की डुमरी सीट पर उपचुनाव की घोषणा की है। यह सीट जेएमएम के वरिष्ठ और बेहद मजबूत नेता जगन्नाथ महतो के निधन से खाली हुई है। वे राज्य सरकार में मंत्री भी थे। उनके निधन के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने उनकी पत्नी को मंत्री बना दिया और वे इस सीट से लड़ेंगी। इससे पहले एक अन्य मंत्री हाजी याकूब अंसारी का निधन हुआ था तो हेमंत ने उनके बेटे को भी मंत्री बना दिया था और मधुपुर सीट से उनको टिकट दिया था, जिसमें वे जीत गए थे। पिछले दिनों रांची शहर की मांडर सीट पर उपचुनाव हुआ था, जिसमें अयोग्य ठहराए गए विधायक बंधु तिर्की की बेटी कांग्रेस की टिकट से चुनाव जीती। बेरमो विधानसभा सीट कांग्रेस विधायक राजेंद्र सिंह के निधन के बाद उपचुनाव हुआ था, जिसमें उनके बेटे ने जीत हासिल की। भाजपा की सहयोगी आजसू ने रामगढ़ की अपनी पुरानी सीट उपचुनाव में जीती है, जो एनडीए के लिए सांत्वना की तरह है।