बिहार की बोचहां विधानसभा सीट और उत्तर प्रदेश की घोसी सीट के उपचुनाव में कई समानताएं दिख रही हैं। हालांकि घोसी के नतीजों की उस नजरिए से व्याख्या नहीं हो रही है। आमतौर पर माना जा रहा है कि मायावती के नहीं होने से उनका वोट समाजवादी पार्टी के मुस्लिम और यादव वोट के साथ मिल गया इसलिए सपा की जीत हो गई। लेकिन यह पूरे मामले का सरलीकरण है। तभी कहा जा रहा है कि भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की एक टीम घोसी जाएगी और नतीजों की समीक्षा करेगी। इस समीक्षा की जरूरत इसलिए है क्योंकि भाजपा को लग रहा है कि उसका कोर सवर्ण वोट और उसमें भी भूमिहार वोट किसी न किसी वजह से नाराज है और चुनाव हरवा कर उसे मैसेज दे रहा है।
ध्यान रहे घोसी लोकसभा सीट पिछले चुनाव में बहुजन समाज पार्टी जीती थी। उसके उम्मीदवार अतुल राय 50 फीसदी से ज्यादा वोट लेकर इस सीट पर जीते थे। चुनाव के तुरंत बाद बलात्कार के एक मामले में उनको गिरफ्तार कर लिया गया। वे बलात्कार के केस में विशेष अदालत से बरी हुए तो गैंगेस्टर एक्ट और दूसरे मामलों में उनको जेल में रखा गया। वे चार से साल से जेल में बंद हैं। राज्य के पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने उनके समर्थन में बयान दिया तो उनके ऊपर भी मुकदमा हुआ और उनको गिरफ्तार किया गया। अतुल राय और अमिताभ ठाकुर दोनों भूमिहार समुदाय से जुड़े हैं। स्थानीय स्तर पर इन दोनों का मुद्दा भाजपा के खिलाफ गया। बिल्कुल यही स्थिति बिहार के बोचहां में हुई थी, जहां उपचुनाव में भाजपा के पूरी ताकत लगाने के बाद भी सवर्ण मतदाता उसके साथ नहीं गए और प्रतिष्ठा की लड़ाई बनी यह सीट भाजपा हार गई थी। उसी समय राष्ट्रीय जनता दल ने विधान परिषद के चुनाव में कई सवर्ण उम्मीदवारों को टिकट देकर उनको अपने साथ करने का दांव चला था।