कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कार्य समिति के गठन का फॉर्मूला कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति के गठन में नहीं आजमाया है। उन्होंने कार्य समिति में तमाम पुराने नेताओं को बनाए रखा लेकिन चुनाव समिति से कई पुराने और उम्रदराज नेता हटा दिए गए। उनकी जगह नए चेहरों को जगह दी गई। कई नए नेता तो ऐसे हैं, जिनकी अपने राज्य अपने चुनाव क्षेत्र से बाहर भी पहचान नहीं है। उनको सीधे केंद्रीय चुनाव समिति का सदस्य बना दिया गया।
खड़गे ने मनमोहन सिंह, एके एंटनी जैसे बुजुर्ग नेताओं को चुनाव समिति में नहीं रखा। जनार्दन द्विवेदी पहले ही पार्टी से दूरी बना चुके हैं तो उनको भी हटा दिया गया। वीरप्पा मोईली, गिरिजा व्यास, मुकुल वासनिक, मोहसिना किदवई भी नहीं रखे गए। गुलाम नबी आजाद पार्टी छोड़ कर जा चुके हैं तो उनका नाम भी हटाया ही जाना था। खड़गे ने हालांकि अंबिका सोनी, सलमान खुर्शीद, अधीर रंजन चौधरी, मधुसूदन मिस्त्री जैसे नेताओं को रखा है, जिनके बारे में पहले से अंदाजा लगाया जा रहा था।
सबसे ज्यादा चौंकाने वाला नाम छत्तीसगढ़ के टीएस सिंहदेव, मध्य प्रदेश के ओंकार मरकाम, गुजरात की अमी याज्ञनिक, उत्तराखंड के प्रीतम सिंह और बिहार के मोहम्मद जावेद का है। टीएस सिंहदेव को ऐसा लग रहा है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ चल रहे संघर्ष में शक्ति संतुलन के लिए रखा गया है। लेकिन बाकी चार नेताओं की कोई बड़ी राजनीतिक पूंजी नहीं है। राष्ट्रीय राजनीति में यह लगभग अनजान से चेहरे हैं। इसके अलावा एक और खास बात यह है कि जनार्दन द्विवेदी और गिरिजा व्यास जैसे ब्राह्मण चेहरे बाहर हुए लेकिन पार्टी ने कोई बड़ा ब्राह्मण चेहरा इसमें लाने का प्रयास नहीं किया। हिंदी पट्टी में मैसेज बनवाने वाला कोई चेहरा इसमें नहीं है।