कांग्रेस नेता सोनिया और राहुल गांधी में से कोई भी इनेलो की 25 सितंबर को होने वाली रैली में नहीं जाएंगे। कांग्रेस ने ऐसा लग रहा है कि ओमप्रकाश चौटाला की इनेलो से तालमेल का इरादा छोड़ दिया है। हालांकि नीतीश कुमार और उनकी पार्टी के नेता केसी त्यागी ने अभी उम्मीद नहीं छोड़ी है। वे अब भी इनेलो को विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ में शामिल कराना चाहते हैं। उनकी कोशिश मुंबई में हुई बैठक में भी इसके नेताओं को ले जाने की थी। बताया जा रहा है कि कांग्रेस उनकी कोशिश नहीं रोक रही है लेकिन कांग्रेस ने अपनी प्रदेश कमेटी के सुझाव के आधार पर उसे दूर ही रखने का फैसला किया है।
जानकार सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस की प्रदेश कमेटी ने इनेलो की असली ताकत का ब्योरा पार्टी आलाकमान को भेज दिया है। उनको बताया गया है कि पार्टी टूटने के बाद बड़ा वोट बैंक दुष्यंत चौटाला और उनके पिता अजय चौटाला के साथ चला गया है। अभय चौटाला और उनके बेटों के पास कोई खास वोट नहीं बचा है। दूसरे उनकी पार्टी सिर्फ एक विधायक और जीरो सांसद वाली है। इसके बावजूद इनेलो की मांग लोकसभा में तीन से चार और विधानसभा में 40 सीट की होगी, जो कांग्रेस किसी हाल में नहीं दे सकती है। तीसरा कारण यह बताया जा रहा है कि कांग्रेस जाट बनाम गैर जाट का चुनाव नहीं बनाना चाहती है। पार्टी के नेताओं को लग रहा है कि गैर जाट भी भाजपा की खट्टर सरकार से नाराज हैं। चौथा कारण यह है कि कांग्रेस इस बार अकेले चुनाव जीतने के भरोसे में है। पार्टी के एक जानकार नेता का कहना है कि जब 15 विधायक थे तब कांग्रेस ने तालमेल नहीं किया तो अब 31 विधायक लेकर क्यों तालमेल करेगी?