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धीरेंद्र शास्त्री का चमत्कार काम नहीं आया

यह कमाल की बात है कि पिछले तीन-चार महीने में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के जितने भी नेता बागेश्वर धाम के आचार्य धीरेंद्र शास्त्री की शरण में गए, सबका पत्ता साफ हो गया। सब राजनीति में कूड़ेदान में फेंक दिए गए। तीनों राज्यों में जो मुख्यमंत्री बने हैं- छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय, मध्य प्रदेश में मोहन यादव और राजस्थान में भजनलाल शर्मा की कोई तस्वीर सोशल मीडिया में देखने को नहीं मिली है, जिसमें वे धीरेंद्र शास्त्री के दरबार में गए हों। हालांकि इसका यह मतलब नहीं है कि वे कभी उनके आश्रम में नहीं गए होंगे या उनसे नहीं मिले होंगे लेकिन चुनाव के दौरान जीतने का आशीर्वाद लेना या पद पाने की लालसा लेकर जाने की कोई खबर नहीं है। उसके बगैर ही तीनों की लॉटरी खुल गई।

इसके उलट उन नेताओं को देखें, जो धीरेंद्र शास्त्री के दरबार में गए या अपने यहां उनका दरबार सजवाया और उनके चरणों में लोट लगाई, सब के सब हाशिए में चले गए। धीरेंद्र शास्त्री के दरबार में सबसे ज्यादा लोट लगाई थी कांग्रेस नेता कमलनाथ ने। उनकी कमान में कांग्रेस ऐसी हारी है, जिसकी कल्पना किसी ने नहीं की थी। इसके साथ ही उनका राजनीतिक करियर भी लगभग समाप्त हो गया है। उन्हीं की तरह शिवराज सिंह चौहान ने भी बड़े दरबार किए थे। वे भी धीरेंद्र शास्त्री की कृपा के लिए दरबार जाते रहते थे। लेकिन चुनाव जीतने के बाद उनका भी पत्ता साफ हो गया और मोहन यादव मुख्यमंत्री बन गए। शिवराज सरकार के बड़बोले मंत्री और मुख्यमंत्री पद के दावेदार नरोत्तम मिश्रा भी धीरेंद्र शास्त्री के दरबार में जाते थे। राज्य में भाजपा ने रिकॉर्ड 163 सीटें जीती हैं लेकिन दतिया की सीट से नरोत्तम मिश्रा हार गए। राजस्थान की भाजपा नेता वसुंधरा राजे भी धीरेंद्र शास्त्री के दरबार में गई थीं। नतीजों के तुरंत बाद उनकी फोटो आई थी। हालांकि तब बताया गया कि यह पहले की फोटो है। बहरहाल, वे जब भी गई हों लेकिन उनका भी दरबार में जाना काम नहीं आया।

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