बहुजन समाज पार्टी की नेता मायावती हर जगह अकेले चुनाव लड़ने की रणनीति को बदल रही हैं। बताया जा रहा है कि वे अलग अलग राज्यों में छोटी पार्टियों के साथ तालमेल करेंगी। उन्होंने इसकी शुरुआत कुछ समय पहले ही पंजाब से कर दी थी। अब वे इसे आगे बढ़ाएंगी। पंजाब में मायावती ने शिरोमणि अकाली दल के साथ तालमेल किया है। पिछला चुनाव दोनों पार्टियों ने साथ लड़ा था और पिछले दिनों जालंधर में हुए उपचुनाव में भी दोनों के बीच तालमेल रहा था। इसके बाद मायावती ने मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के साथ तालमेल किया है। मध्य प्रदेश की 230 में से 178 सीटों पर बसपा लड़ेगी और बची हुई 52 सीटों पर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का उम्मीदवार लड़ेगा। इसी तरह छत्तीसगढ़ की 90 में से 53 सीटों पर बसपा और 37 सीटों पर जीजीपी लड़ेगी।
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस और भाजपा के बीच आमने-सामने का चुनाव है। फिर भी बसपा और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का तालमेल बहुत अहम है। ध्यान रहे मध्य प्रदेश में 17 फीसदी के करीब दलित और 22 फीसदी के करीब आदिवासी आबादी है। छत्तीसगढ़ में पांच फीसदी के करीब दलित और 32 फीसदी आदिवासी आबादी है। सो, दोनों राज्यों में इन दो समुदायों की आबादी एक-तिहाई से ज्यादा है। बहरहाल, मायावती इसी तरह का तालमेल दूसरे राज्यों में कर सकती हैं। विपक्षी पार्टियों के गठबंधन ‘इंडिया’ में शामिल होने और बड़ी पार्टियों के साथ मिल कर लड़ने की बजाय वे इस रणनीति पर विचार कर रही हैं। हालांकि इससे उत्तर प्रदेश में सीटों की संख्या बढ़ने की संभावना नहीं है। तभी संभव है कि उत्तर प्रदेश में वे अपनी पुरानी राजनीति पर लौटें और समाजवादी पार्टी के साथ तालमेल करें। कांग्रेस और रालोद के साथ भी तालमेल की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। वे 15 जनवरी को अपने जन्मदिन के मौके पर इस बारे में पत्ते खोलेंगी।