ऐसा लग रहा है कि भाजपा के शीर्ष नेता सिंधिया परिवार के साथ शह-मात का खेल खेल रहे हैं। कहीं उनको आगे बढ़ाया जा रहा है तो कहीं पीछे खींचा जा रहा है। इस वजह से पिछले कुछ दिनों से इस बात की चर्चा शुरू हो गई है कि क्या राजनीति से सिंधिया परिवार का वर्चस्व खत्म हो जाएगा। इसके पक्ष और विपक्ष में लेख लिखे जा रहे हैं और सोशल में बहस चल रही है। असल में प्रधानमंत्री परिवारवाद के खिलाफ जब भी हमला करते हैं तो कांग्रेस की ओर से कांग्रेस समर्थक यूट्यूबर्स की ओर से सिंधिया परिवार को निशाना बनाया जाता है। इसलिए भाजपा के लिए वह परिवार गले की हड्डी की तरह है। उसे निगलना और उगलना दोनों मुश्किल हो रहा है। तभी मध्य प्रदेश से राजस्थान तक शह-मात का खेल चल रहा है।
मध्य प्रदेश में पहले शिवपुरी की विधायक यशोधरा राजे को रिटायर कराया गया। उन्होंने कहा कि वे चुनाव नहीं लड़ना चाहती हैं। इस तरह अब मध्य प्रदेश में सिंधिया परिवार से अकेले ज्योतिरादित्य सिंधिया भाजपा में सक्रिय हैं। हालांकि अभी उनकी टिकट की घोषणा नहीं हुई है लेकिन उनके करीबी लोगों को टिकट मिल रही है। भाजपा की चौथी सूची में सात उम्मीदवार ऐसे हैं, जो उनके साथ कांग्रेस से भाजपा में गए थे। उससे पहले भी उनकी करीबी इमरती देवी को टिकट दी गई थी। लेकिन दूसरी तरफ राजस्थान में वसुंधरा राजे को नियंत्रण में रखने के उपाय भी हो रहे हैं। राज्य की पहली सूची में उनके दो करीबी नेताओं की टिकट कट गई है। भैरोसिंह शेखावत के दामाद नरपत सिंह राजवी की टिकट काट कर सांसद दीया कुमारी को दी गई है और राजपाल सिंह की काट कर राज्यवर्धन राठौड़ को दी गई है। बताया जा रहा है कि वसुंधरा ने अनिता सिंह की भी पैरवी की थी लेकिन उनकी भी टिकट कट गई है।