आम आदमी पार्टी पांच में से तीन राज्यों में विधानसभा चुनाव लड़ने जा रही है। पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ऐलान किया है कि राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में आम आदमी पार्टी पूरी ताकत से चुनाव लड़ेगी। पूरी ताकत से चुनाव लड़ने का क्या मतलब है यह सबको पता है। इन तीनों राज्यों में पार्टी का कोई आधार नहीं है। फिर भी पूरी ताकत से लड़ने का मतलब है कि पार्टी खूब खर्च करेगी, हर सीट पर उम्मीदवार उतारेगी और अरविंद केजरीवाल व भगवंत मान प्रचार के लिए जाएंगे। इस तरह से चुनाव लड़ने का हर हाल में आप को नुकसान होगा। नतीजा चाहे कुछ भी निकले, नुकसान आम आदमी पार्टी को होगा।
अगर आम आदमी पार्टी के चुनाव लड़ने के बावजूद कांग्रेस तीनों राज्यों में या दो राज्यों में जीत जाती है तो वह आगे के लिए आप का रास्ता बंद करेगी। अगर कांग्रेस एक राज्य में जीतती है या नहीं जीत पाती है तब भी आप के साथ कांग्रेस का दूरी बढ़ेगी। कांग्रेस विपक्षी गठबंधन में आप को किनारे करने का प्रयास करेगी। हालांकि आप के नेताओं का कहना है कि अगर उसके लड़ने से कांग्रेस हारती है तो उसका दावा होगा कि वह लोकसभा में भी विपक्ष का खेल बिगाड़ सकती है इसलिए उसको साथ रखा जाए। लेकिन ऐसा नहीं होगा क्योंकि तीनों में किसी राज्य में आप का इम्पैक्ट ऐसा नहीं होने जा रहा है कि वह प्रत्यक्ष रूप से नतीजों को प्रभावित कर सके। उसे अगर एक फीसदी या उससे भी कम वोट मिलता है तो वह किस मुंह से लोकसभा चुनाव में सीटों की मांग करेगी? हालांकि एक थीसिस यह भी है कि शहरी इलाकों में केजरीवाल भाजपा को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। विपक्षी पार्टियां इस पर भी नजर रखेंगी।