यह बहुत जायज सवाल है, जो सबसे पहले तब उठा जब बहुजन समाज पार्टी ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा चुनाव की घोषणा से पहले कर दी थी। अब भाजपा ने यही काम किया है। भारतीय जनता पार्टी ने मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में अपनी पार्टी के कुछ उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। पार्टी की ओर से घोषित उम्मीदवार अब अपने चुनाव क्षेत्र में प्रचार कर रहे हैं। तभी सवाल है कि इन उम्मीदवारों के खर्च का हिसाब चुनाव आयोग कैसे रखा? चुनाव आयोग का काम तो तब शुरू होता है, जब चुनाव की घोषणा हो जाती है और आचार संहिता लागू हो जाती है। आचार संहिता लागू होने से पहले कोई उम्मीदवार या पार्टी कितना खर्च करती है यह देखने का कोई तरीका आयोग के पास नहीं है।
सो, कांग्रेस पार्टी ने मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ को लेकर सवाल उठाया है। कांग्रेस ने अभी अपने उम्मीदवार घोषित नहीं किए हैं लेकिन भाजपा के उम्मीदवार क्षेत्र में प्रचार कर रहे हैं। उनके प्रचार की गाड़ियां घूम रही हैं और जनसंपर्क अभियान भी चल रहा है। बताया जा रहा है कि चुनाव आयोग इसे गंभीरता से ले रहा है। आयोग इस वजह से भी गंभीर है क्योंकि तेलंगाना में सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति ने राज्य की 117 में से 115 सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। उसके उम्मीदवार भी प्रचार कर रहे हैं और अभी प्रचार खर्च पर कोई सीमा नहीं है। बताया जा रहा है कि आयोग इसका रास्ता निकाल रहा है क्योंकि अब यह ट्रेंड जोर पकड़ रहा है कि चुनाव की घोषणा से पहले उम्मीदवार घोषित किया जाए। ऐसे में उनके खर्च का भी हिसाब रखना होगा। सो, संभव है कि उम्मीदवार की घोषणा के साथ ही उसके खर्च पर नजर रखी जाए और उसका हिसाब मांगा जाए।