विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की पार्टियों का स्टैंड साफ हो रहा है। कई राज्यों में चल रहे उपचुनावों में पार्टियों ने जिस तरह का स्टैंड लिया है उससे गठबंधन की एक तस्वीर उभर रही है। माना जा रहा है कि पश्चिम बंगाल की धुपगुड़ी विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव के नतीजों से तय होगा कि राज्य में ‘इंडिया’ एकजुट होकर लड़े या रणनीतिक कारणों से सीपीएम व कांग्रेस साथ लड़ कर चुनाव को त्रिकोणात्मक बनाएं। गौरतलब है कि धुपगुड़ी सीट पर कांग्रेस ने सीपीएम उम्मीदवार को समर्थन देने का ऐलान किया है। दोनों पार्टियां साझा प्रचार करके चुनाव को त्रिकोणात्मक बनाए हुए हैं। भाजपा के विधायक के निधन से सीट खाली हुई है लेकिन सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस इस सीट को हासिल करने के लिए जी तोड़ प्रयास कर रही है। यह देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस और सीपीएम के साथ लड़ने का क्या असर चुनाव पर होता है।
अगर दोनों पार्टियां मिल कर इतना वोट काटती हैं, जिससे भाजपा जीत जाती है तो गठबंधन के एकजुट होकर लड़ने की जरूरत दिखाई देगी। लेकिन जानकार नेताओं का कहना है कि सीपीएम और कांग्रेस मिल कर जो वोट काटेंगे उसका नुकसान भाजपा को होगा। अगर ऐसा होता है तो लोकसभा चुनाव में यही रणनीति अपनाई जाएगी। सो, उपचुनाव के नतीजों से बंगाल की तस्वीर साफ होगी लेकिन उत्तर प्रदेश में ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस और सपा फिर साथ आएंगे। कांग्रेस ने राज्य की घोसी सीट पर उपचुनाव में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार को समर्थन दिया है। यह इलाका कांग्रेस के नए प्रदेश अध्यक्ष अजय राय के मजबूत असर वाला है। अगर वहां कांग्रेस ने सपा का साथ दिया है तो इसका संदेश बहुत स्पष्ट है। पहले खबर आई थी कि कांग्रेस और बसपा के बीच भी बातचीत हो रही है। अगर ये सारी पार्टियां साथ आती हैं तो मुकाबला आमने-सामने का होगा। लेकिन बसपा अलग लड़ती है तो त्रिकोणात्मक मुकाबले में भाजपा फायदे में रहेगी।