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विपक्ष में नेताओं का नाराज होना

भारतीय राजनीति

विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के नेताओं के नाराज होने का जो सिलसिला पटना की पहली बैठक से शुरू हुआ वह तीसरी बैठक तक जारी रहा। तभी कई नेता मजाक में यह भी कह रहे हैं कि यह टोटका हो गया। अगर कोई नेता नाराज नहीं होगा तो बैठक सफल नहीं होगी। असल में मुंबई में हुई ‘इंडिया’ की तीसरी बैठक में से ममता बनर्जी के जल्दी निकल जाने और प्रेस कांफ्रेंस में हिस्सा नहीं लेने की खबरों के बाद यह संयोग खोजा गया कि हर बैठक में कोई न कोई नाराज हुआ। लेकिन इससे विपक्षी पार्टियों के गठबंधन पर फर्क नहीं पड़ रहा है क्योंकि नाराज होने वाले नेता चाहे अरविंद केजरीवाल हों या नीतीश कुमार या ममता बनर्जी सभी ‘इंडिया’ के आइडिया से सहमत हैं और गठबंधन से बाहर नहीं जा रहे हैं।

बहरहाल, मुंबई की बैठक में ममता बनर्जी की नाराजगी के कई कारण थे। इनमें से दो कारण मुख्य रूप से सामने आ रहे हैं। पहला कारण तो यह है कि वे सीट बंटवारे पर जल्दी चर्चा चाहती हैं। सीट बंटवारे में उनके लिए ज्यादा अहम बात यह तय करना है कि कांग्रेस और लेफ्ट के साथ उनकी पार्टी का तालमेल होता है या नहीं। सीट बंटवारे पर चर्चा होगी तभी इस बारे में भी बात होगी। वहां संभव है कि तीनों पार्टियों के बीच तालमेल न हो और कांग्रेस व लेफ्ट अलग लड़ कर मुकाबले को त्रिकोणात्मक बनाएं। नाराजगी का दूसरा कारण जाति जनगणना का है। ममता बनर्जी जातियों की गिनती के पक्ष में नहीं हैं, जबकि बाकी नेता चाहते हैं कि आम सहमति से जाति गणन को चुनावी मुद्दा बनाया जाए।

इससे पहले बेंगलुरू की बैठक में ममता बनर्जी बहुत ज्यादा सक्रिय थीं। गठबंधन का नाम ‘इंडिया’ रखने का आइडिया भी उन्होंने दिया। वे राहुल गांधी की तारीफ करती रहीं, जिससे मीडिया ने भी उनको ज्यादा तवज्जो दी। इससे नीतीश कुमार नाराज हुए। ने ‘इंडिया’ नाम के पक्ष में नहीं बताए जा रहे थे। इसके अलावा वे यह भी चाहते थे कि उनको गठबंधन का संयोजक घोषित किया जाए। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और पूरी बैठक में फोकस कांग्रेस के ऊपर रहा। सो, नीतीश की पार्टी को लगा कि कांग्रेस ने उनका एजेंडा हाईजैक कर लिया। तभी नीतीश, लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव तीनों प्रेस कांफ्रेंस में शामिल नहीं हुए और पटना लौट गए।

विपक्षी नेताओं की 23 जून को पटना में हुई पहली बैठक में अरविंद केजरीवाल नाराज हुए थे। असल में उस समय दिल्ली के सेवा बिल का मामला चल रहा था। इस अध्यादेश के खिलाफ केजरीवाल पूरे देश में अभियान चला रहे थे लेकिन कांग्रेस ने अपना स्टैंड साफ नहीं किया था। सो, केजरीवाल ने धमकी देने के अंदाज में कहा था कि अगर कांग्रेस स्टैंड साफ नहीं करती है तो वे विपक्षी गठबंधन की अगली बैठक में नहीं जाएंगे। हालांकि कांग्रेस अपनी इस लाइन पर कायम रही कि इस मामले में फैसला संसद सत्र के दौरान किया जाएगा। कांग्रेस ने इस बिल पर आम आदमी पार्टी का साथ दिया लेकिन उससे पहले केजरीवाल बेंगलुरू में 18 जुलाई को हुई दूसरी बैठक में शामिल हुए।

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