विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की मुंबई में होने वाली बैठक से पहले इसके घटक दल कांग्रेस के ऊपर दबाव बना रहे हैं। कई सहयोगी पार्टियां चाहती हैं कि मुंबई में सीट बंटवारे को लेकर चर्चा हो। कांग्रेस को इसमें कोई दिक्कत नहीं है लेकिन कांग्रेस चाहती है कि एक उप समूह बनाया जाए, जो इस संबंध में चर्चा करे और यह चर्चा राज्यवार हो। कांग्रेस नहीं चाहती है कि सारी चर्चा सबके सामने हो। उसके नेताओं का कहना है कि तमिलनाडु में सीट बंटवारे पर चर्चा करनी है तो उसमें बिहार, झारखंड के नेताओं का रहना जरूरी नहीं है। इसी तरह बिहार की चर्चा में महाराष्ट्र के नेताओं के रहने का कोई मतलब नहीं है। इसलिए हो सकता है कि मुंबई में शुरुआती चर्चा हो और अंतिम बातचीत उप समूह की बैठक में हो।
असल में कांग्रेस को सहयोगी पार्टियों की ओर से दबाव झेलना पड़ रहा है। उसकी सारी सहयोगी पार्टियां ज्यादा सीट मांग रही हैं और सबका तर्क यह है कि कांग्रेस तो पूरे देश की पार्टी है लेकिन प्रादेशिक पार्टियों को तो सिर्फ एक या दो राज्य की राजनीति करनी है। इसलिए उसे ज्यादा सीट मिलनी चाहिए। कई राज्यों में प्रादेशिक पार्टियां कांग्रेस के कमजोर संगठन और नेतृत्व की कमी के आधार पर उसे कम सीट लड़ने के लिए कह रही हैं। अगर इन तर्कों से सीटों का बंटवारा होगा तो कांग्रेस को बड़ा नुकसान उठाना पड़ेगा। दूसरी ओर कांग्रेस राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा और कर्नाटक की जीत का हवाला देकर ज्यादा सीटों पर दावा कर रही है।
कांग्रेस को सबसे ज्यादा मुश्किल बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र और दिल्ली व पंजाब में आ रही है। महाराष्ट्र में अब तक कांग्रेस और एनसीपी मिल कर लड़ते थे इस बार शिव सेना भी गठबंधन में शामिल है। सो, राज्य की 48 लोकसभा सीटें तीन हिस्सों में बंटनी हैं। ऊपर से शिव सेना ने प्रकाश अंबेडकर की पार्टी से भी तालमेल कर लिया है इसलिए वह ज्यादा सीट चाहती है। पिछली बार भाजपा से गठबंधन में वह 23 सीटों पर लड़ी थी। महाराष्ट्र की तरह बिहार में भी गठबंधन का दायरा बढ़ गया है। पिछली बार सिर्फ राजद और कांग्रेस लड़े थे इस बार जदयू भी गठबंधन में है। तभी राज्य की 40 में से कांग्रेस की आठ सीटों का मांग भी पूरी होने के आसार नहीं दिख रहे हैं। उसके सहयोगी चार या पांच पर राजी हो रहे हैं।
झारखंड में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को लग रहा है कि उनकी पार्टी जेएमएम विधानसभा की सबसे बड़ी पार्टी है इसलिए लोकसभा में भी उसे ज्यादा सीटों पर लड़ना चाहिए। वे कांग्रेस से ज्यादा सीट पर लड़ना चाहते हैं और ऐसी सीटों पर भी उम्मीदवार आगे किया है, जहां कांग्रेस जीतती रही है और पिछली बार भी बहुत कम अंतर से हारी है। बताया जा रहा है कि सात-सात सीटों का बंटवारा चाहते हैं और यह भी चाहते हैं कि राजद को कांग्रेस अपने कोटे से सीट दे। उधर आम आदमी पार्टी की ओर से दिल्ली में दो और पंजाब में पांच से छह सीट का प्रस्ताव दिया जा रहा है। दिल्ली में तो दोनों पार्टियां जीरो पर हैं लेकिन पंजाब में पिछली बार कांग्रेस के आठ सांसद जीते थे। वह कम से कम आठ सीटों पर लड़ना चाहती है। लेकिन आम आदमी पार्टी 92 विधानसभा सीट के प्रचंड बहुमत के दम पर ज्यादा सीट मांग रही है।