दो महीने बाद पांच राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं, जिसमें कांग्रेस का बहुत कुछ दांव पर लगा है। विपक्षी पार्टियों के गठबंधन ‘इंडिया’ की ओर से सिर्फ कांग्रेस को इन राज्यों में लड़ना है। अगर आम आदमी पार्टी जिद न करे तो किसी भी राज्य में गठबंधन की किसी पार्टी को नहीं लड़ना है। समाजवादी पार्टी जरूर मध्य प्रदेश में चुनाव लड़ती रही है लेकिन एक-दो सीटों के अलावा उसका कोई खास असर नहीं रह गया है। सो, कुल मिला कर राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में कांग्रेस को चुनाव लड़ना है। बताया जा रहा है कि मुंबई की बैठक में विपक्षी पार्टियां हर महीने किसी न किसी राज्य में एक बड़ी रैली करने की योजना बना रही हैं तो क्या ये पार्टियां चुनावी राज्यों में रैली करेंगी?
ध्यान रहे विपक्ष का गठबंधन बनने यानी 23 जून को पटना में हुई बैठक के बाद यह पहला चुनाव हो रहा है। तो क्या गठबंधन के नेता इन चुनावों में साझा प्रचार और रैली करेंगे? क्या बाकी सभी पार्टियों के नेता कांग्रेस के प्रचार में उतरेंगी? सोचें, नीतीश कुमार, लालू प्रसाद, तेजस्वी यादव, अखिलेश यादव आदि नेता कांग्रेस के लिए प्रचार करने जाएं! ममता बनर्जी, शरद पवार और अरविंद केजरीवाल कांग्रेस के लिए वोट मांगें! उद्धव ठाकरे की कांग्रेस के समर्थन में रैली हो! आदिवासी बहुल इलाकों में हेमंत सोरेन की रैलियां हों! अभी तक कांग्रेस के पास नेताओं की कमी दिखती थी और दूसरी ओर भाजपा की तरह से प्रचारकों की पूरी फौज उतरती थी। लेकिन अब कांग्रेस भी अपनी सभी सहयोगी सहयोगी पार्टियों को प्रचार में उतार सकती है। इससे आम मतदाता के बीच बड़ा मैसेज जाएगा। अगर सभी पार्टियां राज्यों के चुनाव में कांग्रेस के लिए प्रचार करती हैं तो लोकसभा चुनाव से पहले उनका तालमेल और मजबूत होगा।