विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की कम से कम दो पिछली बैठकों में देश की दो मुस्लिम पार्टियों के बारे में चर्चा हुई है। असदुद्दीन ओवैसी की ऑल इंडिया एमआईएम और बदरूद्दीन अजमल की ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट यानी एआईयूडीफ के बारे में विचार किया गया है। कई पार्टियों का दबाव है कि इनको गठबंधन में शामिल किया जाए। हालांकि कांग्रेस और दूसरी तमाम बड़ी पार्टियां इसके खिलाफ हैं। ओवैसी की पार्टी एमआईएम को लेकर ज्यादा विरोध है। विपक्षी पार्टियों के नेताओं का मानना है कि ओवैसी किसी न किसी रूप में भाजपा को मदद पहुंचाते हैं। भले उनका उद्देश्य अपनी पार्टी का विस्तार करना हो लेकिन इसका फायदा भाजपा को मिलता है। ओवैसी की पार्टी की वजह से बिहार में दो विधानसभा सीटों के उपचुनाव में भाजपा को जीत मिली थी। अभी हाल में हुए झारखंड की डुमरी सीट के उपचुनाव में भी उन्होंने मुस्लिम वोट काटने के लिए उम्मीदवार उतारा था। उनके उम्मीदवार को साढ़े तीन हजार वोट मिले थे।
सो, ओवैसी को लेकर तो लगभग साफ है कि विपक्षी गठबंधन में उनको जगह नहीं मिलेगी। विपक्षी पार्टियां यह भी मान रही हैं कि अगले चुनाव में उनके उम्मीदवारों को वोट नहीं मिलेगा क्योंकि भाजपा के खिलाफ आमने सामने की लड़ाई ‘इंडिया’ के उम्मीदवार लड़ रहे होंगे। ओवैसी की बजाय अजमल की पार्टी को गठबंधन में शामिल करने पर सहमति बन सकती है। ध्यान रहे असम में कांग्रेस पार्टी पहले भी एआईयूडीएफ के साथ तालमेल करके चुनाव लड़ चुकी है। हालांकि उसे इसका ज्यादा फायदा नहीं मिला। फिर भी अगले लोकसभा चुनाव से पहले उनको विपक्षी गठबंधन में शामिल किया जा सकता है। विपक्षी पार्टियों को लग रहा है कि वे तीन से ज्यादा सीटों पर वोट का नुकसान कर सकते हैं। अगर वे साथ आ जाते हैं तो गठबंधन सभी सीटों पर मजबूती से लड़ सकता है।