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चुनावी राज्यों में मीटिंग नहीं

विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की अगली बैठक की जगह लगभग तय हो गई है। अगर सब कुछ ठीक रहता है तो अगली बैठक अरविंद केजरीवाल की मेजबानी में दिल्ली में होगी। असल में मुंबई की बैठक में इस पर जो शुरुआती बातचीत हुई उसमें पार्टियों के बीच अगले वेन्यू को लेकर मतभेद थे। ध्यान रहे पहली बैठक पटना में हुई थी क्योंकि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सबसे पहले विपक्षी पार्टियों को एकजुट करने की पहल शुरू की थी। इसलिए उन्होंने अपने यहां पहली बैठक करवाई। इसके बाद दूसरी बैठक बेंगलुरू में हुई। कांग्रेस शासित कर्नाटक में बैठक का फैसला इसलिए हुआ क्योंकि कांग्रेस ने आमने सामने की लड़ाई में मई में भाजपा को हराया था। इसलिए वहां से भाजपा को हराने का मैसेज देने के लिए बैठक हुई। तीसरी बैठक मुंबई में हुई और वह इसलिए क्योंकि विपक्ष की दो बड़ी पार्टियों को राज्य में तोड़ा गया था। एक कारण यह भी था कि उत्तर प्रदेश के बाद सबसे ज्यादा लोकसभा सीट वाले राज्य में विपक्ष को जीत की वास्तविक संभावना दिख रही है।

तभी राजनीतिक रूप से बड़ा मैसेज बनवाने के लिए चौथी मीटिंग की जगह चुनने की बात हो रही थी। एक प्रस्ताव भोपाल में बैठक कराने का था, जिसका सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने विरोध किया। इसके बाद उन्होंने प्रस्ताव दिया कि जिन राज्यों में इस साल नवंबर में चुनाव होने वाले हैं उन राज्यों में बैठक नहीं होनी चाहिए। उनका कहना था कि राज्यों के चुनाव में गठबंधन की कई पार्टियां आपस में लड़ सकती हैं। ध्यान रहे सपा मध्य प्रदेश में लड़ती है तो आम आदमी पार्टी तीन राज्यों में लड़ने की तैयारी कर रही है। इस आधार पर येचुरी ने चुनावी राज्य छोड़ने की बात कही है। अगर चुनावी राज्य छोड़ दें तो राजनीतिक मैसेज बनवाने के लिहाज से उत्तर प्रदेश सबसे उपयुक्त होता। अगर देश के चारों दिशाओं में मीटिंग का लक्ष्य होता तो कोलकाता या गुवाहाटी में बैठक होनी चाहिए थी। लेकिन मुंबई की बैठक के बाद एनसीपी नेता सुप्रिया सुले ने कहा कि अगली बैठक दिल्ली में होगी। ध्यान रहे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बहुत दिन से विपक्षी नेताओं की बैठक अपने यहां कराने की कोशिश कर रहे थे।

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