बहुजन समाज पार्टी की नेता मायावती आखिरकार प्रचार में उतरीं। उन्होंने पश्चिमी उत्तर प्रदेश से प्रचार शुरू किया, जो उनकी पार्टी का पुराना गढ़ रहा है। उन्होंने प्रचार में उतरते ही अपने को मुसलमानों का सबसे बड़ा हितैषी बताया और भाजपा पर हमला किया। उन्होंने कहा कि भाजपा मुसलमानों पर अत्याचार कर रही है और समाजवादी पार्टी इस पर कुछ नहीं बोल रही है। उनके भतीजे और उनके उत्तराधिकारी आकाश आनंद भी इसी लाइन पर भाषण दे रहे हैं।
इससे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुस्लिम मतदाताओं में कंफ्यूजन बनेगा। इतना ही नहीं मायावती ने अपनी पार्टी से 11 मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं। कई जगह मुस्लिम और दलित का वोट एक साथ आए तो चुनाव जीतने की स्थिति बनती है। तभी ऐसा माना जा रहा है कि मायावती ने कई सीटों पर मुस्लिम वोट एकमुश्त समाजवादी पार्टी या कांग्रेस के साथ जाने की संभावना को कम कर दिया है।
मायावती की इस राजनीति का फायदा भाजपा को हो सकता है। पिछले कुछ समय से मायावती इस तरह की राजनीति करती रही हैं। उन्होंने आजमगढ़ के उप चुनाव में गुड्डू जमाली को खड़ा कर दिया था, जिनको दो लाख 66 हजार वोट मिला था और समाजवादी पार्टी के धर्मेंद्र यादव महज नौ हजार वोट के अंतर से हार गए थे। इस बार गुड्डू जमाली को सपा ने अपनी पार्टी में शामिल करा लिया है। बहरहाल, मायावती ने गोरखपुर सीट पर भी मुस्लिम उम्मीदवार उतारा है।
उन्होंने जावेद सिमनानी को उम्मीदवार बनाया है। पिछले किसी भी लोकसभा चुनाव में या उपचुनाव में बसपा ने मुस्लिम उम्मीदवार नहीं उतारा था। मायावती निषाद समाज का या ब्राह्मण उम्मीदवार उतारती रही हैं। उनकी पार्टी यह सीट कभी नहीं जीती है। इस बार लग रहा है कि समाजवादी पार्टी का मुस्लिम वोट तोड़ने के लिए मायावती ने गोरखपुर सीट पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारा है। ज्यादातर सीटों पर मायावती की पार्टी यही काम करती दिख रही है।