विपक्षी पार्टियों के गठबंधन ‘इंडिया’ में नई पार्टियों के जुड़ने की बात पिछले दो महीने से हो रही है लेकिन कोई नई पार्टी नहीं जुड़ रही है। कुछ छोटी पार्टियां जरूर ‘इंडिया’ में शामिल होने की कोशिश कर रही हैं लेकिन स्थानीय राजनीति की मजबूरियों की वजह से उनको शामिल नहीं किया जा रहा है। जैसे हरियाणा की इंडियन नेशनल लोकदल या बिहार की जन अधिकार पार्टी का नाम लिया जा सकता है। लेकिन दूसरी ओर भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए का कुनबा बढ़ रहा है। उसके साथ नई पार्टियां जुड़ रही हैं। दिल्ली में एनडीए की 38 पार्टियों की बैठक के बाद अन्ना डीएमके ने साथ छोड़ा तो जेडीएस जुड़ गई है। भाजपा ऐसा इसलिए कर रही है क्योंकि उसको 2019 में जीती अपनी सीटें सुरक्षित करनी हैं।
ध्यान रहे दक्षिण भारत में भाजपा को जिस एक राज्य की चिंता है वह कर्नाटक है, जहां पार्टी को पिछली बार 25 सीटें मिली थीं। इस साल मई में विधानसभा का चुनाव हारने के बाद भाजपा के नेता इस उधेड़बुन में थे कि लोकसभा में कैसे कर्नाटक का किला बचाया जाए। दूसरी ओर पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा की पार्टी जेडीएस अस्तित्व बचाने की लड़ाई लड़ रही थी। सो, दोनों पार्टियां साथ आ गईं। अन्ना डीएमके के अलग होने से भाजपा की सेहत पर रत्ती भर असर नहीं होना है क्योंकि उसके पास सिर्फ एक सांसद है। तमिलनाडु में भाजपा या एनडीए के पास गंवाने के लिए कुछ नहीं है। साथ ही यह भी संभव है कि चुनाव के समय अन्ना डीएमके सीटों के तालमेल के लिए तैयार हो जाए।
नए राज्य में सीटें जीतने से ज्यादा भाजपा की चिंता अपनी जीती हुई सीटें सुरक्षित करने की है और इस क्रम में कर्नाटक के बाद दूसरा अहम राज्य पंजाब है, जहां उसका तालमेल टूटा हुआ है। कर्नाटक में भाजपा दो सीटों पर जीती थी और उसकी सहयोगी अकाली दल को दो सीटें मिली थीं। पार्टी को हर हाल में ये चार सीटें सुरक्षित करनी हैं। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के एक साथ लड़ने पर यह काम मुश्किल होगा फिर भी कोई गुंजाइश तभी है, जब अकाली और भाजपा साथ लड़ें। जानकार सूत्रों का कहना है कि दोनों पार्टियां के बीच साथ लड़ने की सैद्धांतिक सहमति हो गई है। कनाडा प्रकरण को लेकर सुखबीर बादल पिछले दिनों केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिले थे।
सीट बचाने के लिहाज से भाजपा के लिए तीसरा अहम राज्य तेलंगाना है, जहां पार्टी को पिछली बार चार सीटें मिली थीं। वहां सीधे तौर पर भारत राष्ट्र समिति और भाजपा का तालमेल नहीं होगा लेकिन पिछले छह महीने से भाजपा ने जिस तरह से अपने को पीछे किया उससे लग रहा है कि के चंद्रशेखर राव की पार्टी के साथ कोई अंदरूनी तालमेल बन गया है, जो लोकसभा चुनाव में जीतेगा। चौथा राज्य आंध्र प्रदेश है, जहां भाजपा की पुरानी सहयोगी तेलुगू देशम पार्टी एनडीए में शामिल होना चाहती है। लेकिन भाजपा यह हिसाब लगा रही है कि उसके लिए जगन मोहन रेड्डी का मुद्दा आधारित समर्थन बेहतर है या चंद्रबाबू नायडू के साथ तालमेल करना बेहतर है। जल्दी ही इस बारे में स्थिति स्पष्ट होगी।