बहुजन समाज पार्टी की नेता मायावती अगले लोकसभा चुनाव से पहले किसी तरह से तालमेल करने का रास्ता तलाश रही हैं। अभी तो उन्होंने ऐलान किया है कि वे राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में अकेले लड़ेंगी। लेकिन उनको भी पता है कि उन राज्यों में उनका कुछ भी दांव पर नहीं है। लेकिन लोकसभा में उनकी 10 सीटें दांव पर हैं। पिछले चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ तालमेल करके लड़ने से उनकी पार्टी के 10 सांसद जीते थे। उससे पहले 2014 में अकेले लड़ी थीं और 20 फीसदी वोट लाने के बावजूद उनका एक भी सांसद नहीं जीता था। तब उनके पास 20 फीसदी का निश्चित वोट था, जो अब घट कर 13 से 14 फीसदी के करीब पहुंच गया है। इसलिए अकेले लड़ कर वे एक भी सीट नहीं शायद ही जीत पाएं।
विधानसभा में उनकी स्थिति पहले से बहुत खराब है। पिछले चुनाव में उनकी पार्टी का सिर्फ एक विधायक जीता। सो, अगर लोकसभा में भी वे जीरो पर आती हैं तो उनकी राजनीति खत्म होगी। फिर उनके लिए पार्टी को संभाले रखना मुश्किल हो जाएगा। तभी वे तालमेल का रास्ता तलाश रही हैं। उन्होंने इसका संकेत देते हुए कहा है कि वे चुनाव के बाद तालमेल कर सकती हैं। यह कई पार्टियों के लिए संकेत है। बताया जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी के साथ उनका संपर्क हुआ है। यह स्पष्ट नहीं है कि कांग्रेस की ओर एप्रोच किया गया है या उनकी तरफ से लेकिन दोनों के बीच संपर्क बना है। बताया जा रहा है कि कांग्रेस के साथ तालमेल में मायावती देश के कई राज्यों में सीट मांग सकती हैं। लेकिन अगर वे जोखिम लेकर विपक्षी गठबंधन में शामिल होती हैं तो ‘इंडिया’ को बड़ा फायदा हो सकता है। यह भी कहा जा रहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को लेकर भी वे चिंता में हैं। उनको लग रहा है कि खड़गे की वजह से कई राज्यों में दलित वोट कांग्रेस की ओर जा सकता है। इसलिए वे कांग्रेस या पुरानी सहयोगी समाजवादी पार्टी की ओर देख रही हैं। उनको पता है कि भाजपा तालमेल नहीं करेगी।